RBI ने रेपो रेट में की 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती, 6 फीसदी से घटकर 5.75 फीसदी हुआ, लोन लेना हो सकता है सस्ता

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की है। गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति का एलान करते हुए ​आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट 0.25 फीसदी घटाकर 5.75 फीसदी कर दिया। इसके साथ ही रिवर्स रेपो रेट घटकर 5.50 फीसदी हो गया है। रिजर्व बैंक ने CRR 4 फीसदी और SLR 19 फीसदी पर बरकरार रखा है।

(Reuters)

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी विकास दर अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया गया है। RBI ने इस साल लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती की है। खास बात यह है कि इस बार मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) के सभी 6 सदस्य ब्याज दरें घटाने के पक्ष थे। ​इस कटौती के बाद रेपो रेट नौ साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई है।

रिजर्व बैंक आर्थिक वृद्धि दर में तेजी लाने के लिए ब्याज दरों में कटौती का फैसला ​किया है। समाप्त वित्त वर्ष 2018-19 में आर्थिक वृद्धि दर पांच साल के निचले स्तर 6.8 फीसदी पर आ गई है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक का ब्योरा 20 जून 2019 को जारी किया जाएगा। समिति की अगली बैठक 5-7 अगस्त 2019 को होगी।

आपको बता दें कि रेपो रेट घटने से लोन लेना सस्ता हो सकता है और साथ ही ईएमआई भी सस्ती हो सकती है। दरअसल, रेपो रेट ब्याज की वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक बैकों को फंड मुहैया कराता है। चूंकि रेपो रेट घटने से बैंकों को आरबीआई से सस्ती फंडिंग प्राप्त हो सकेगी, इसलिए बैंक भी अब कम ब्याज दर पर होम लोन, कार लोन सहित अन्य लोन ऑफर कर पाएंगे।

क्या होती है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट?

रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को रिजर्व बैंक कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं। रेपो रेट कम होने का सीधा फायदा आम लोगों को होता है क्योंकि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के कर्ज सस्ते हो जाते हैं।इसी तरह रेपो रेट बढ़ने पर ब्याज दरें बढ़ जाती हैं। जबकि रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को उनकी ओर से रिजर्व बैंक में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है।

सीआरआर और एमएसएफ?

देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत प्रत्येक बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना ही होता है। इसे कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) या नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कहा जाता है। जबकि रिजर्व बैंक ने पहली बार वित्त वर्ष 2011-12 में सालाना मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में एमएसएफ का जिक्र किया था। यह 9 मई 2011 को लागू हुआ। इसमें सभी शेड्यूल कमर्शियल बैंक एक रात के लिए अपने कुल जमा का 1 फीसदी तक लोन ले सकते हैं।

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