आजाद भारत के इतिहास में शुक्रवार (12 जनवरी) को पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार मौजूदा जजों ने मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए। मोदी सरकार की तरफ से इसे न्यायपालिका का मामला बताया गया। लेकिन उसके बाद शनिवार (13 जनवरी) को पीएम मोदी के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्रा जस्टिस दीपक मिश्रा के सरकारी आवास, 5 कृष्ण मेनन मार्ग पर उनसे मुलाकात करने पहुंचे। हालांकि, वहां पर दोनों की मुलाकात नहीं हो सकी।
file photoमीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बताया जा रहा है कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने पीएम के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्रा से मिलने से इंकार कर दिया। जिस कारण नृपेंद्र मिश्रा को बिना मुलाकात के ही वापस लौटना पड़ा। इसी बीच, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा के भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा से मिलने उनके घर जाने पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा भारत के मुख्य न्यायाधीश के निवास 5-कृष्णा मेनन मार्ग पर गए। प्रधानमंत्री को अपने विशेष दूत को मुख्य न्यायाधीश के घर भेजने का कारण बताना चाहिए।’
As PM’s Principal Secretary, Nripendra Misra visits CJI’s residence at 5, Krishna Menon Marg; PM must answer the reason for sending this special messenger to Chief Justice of India.
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 13, 2018
बता दें कि, आजाद भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार मौजूदा जजों ने शुक्रवार (12 जनवरी) को प्रेस कॉन्फेंस किया। सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने मीडिया के सामने आकर देश के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए।
वरिष्ठ जस्टिस चेलामेश्वर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “हम चारों के लिए यह बहुत तकलीफ से भरा समय है और यह प्रेस कॉन्फ्रेंस करने में हमें कोई खुशी नहीं हो रही।” उन्होंने कहा कि, “हम नहीं चाहते कि 20 साल बाद कोई कहे कि चारों जजों ने अपनी आत्मा बेच दी थी।” उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और बीते दिनों में बहुत कुछ हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जज जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने न्यायपालिका से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर मीडिया से बात की।
बता दें कि, इस मामले को बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने शुक्रवार को न्यायपालिका का आंतरिक मसला बताया था।वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और वकीलों से मुलाकात के बाद कहा कि यह बहुत संवेदनशील मामला है, चार जजों ने जो मुद्दे उठाए हैं वो बहुत महत्वपूर्ण है। जजों ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है इस पर ध्यान देने की जरूरत है।’