तमाम कांग्रेस नेताओं की नाराजगी के बावजूद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी गुरुवार (7 जून) को नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के मुख्यालय पहुंचे। यहां आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित संगठन के तमाम वरिष्ठ नेता पूरे गर्मजोशी से पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी का स्वागत किया। जिसके बाद मुखर्जी ने आरएसएस के बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम को संबोधित किया। पूर्व राष्ट्रपति के नागपुर में संघ के मुख्यालय में जाने और वहां पर संघ के प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं को भाषण देने के फैसले पर अभी भी हर जगह चर्चा हो रही है। उनके भाषण का हर कोई अपने-अपने हिसाब से मायने निकाल रहा है।
हालांकि इससे पहले पूरी कांग्रेस असहज नजर आ रही थी। यहां तक कि उनकी बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि उनका (डॉ.मुखर्जी) भाषण किसी को याद नहीं रहेगा हां, उनकी तस्वीर का इस्तेमाल जरूर किया जाएगा। लेकिन कुशल राजनेता मुखर्जी बिना किसी दबाव में आए संघ के कार्यक्रम में गए और अपने ‘उच्चस्तरीय’ भाषण के जरिये संघ को उसी के मच पर कई नसीहतें दें डालीं। जिसके बाद कांग्रेस नेताओं के सुर बदल गए और उन्होंने आखिरकार राहत की सांस ली।
कांग्रेस ने भले ही राहत की सांस ले ली हो लेकिन यह मुद्दा अभी खत्म नहीं हुआ है। इस कार्यक्रम को लेकर ताजा विवाद राज्यसभा टीवी को लेकर शुरू हो गया है। दरअसल, प्रणब मुखर्जी के यहां जाने की वजह से देश भर के सभी निजी समाचार चैनलों ने आरएसएस के इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और पूर्व राष्ट्रपति का भाषण सभी चैनलों पर घंटों तक दिखाया गया। निजी चैनलों के अलावा राज्यसभी टीवी ने भी इस कार्यक्रम को लाइव दिखाया।
Former President @CitiznMukherjee set to address RSS event in Nagpur. Watch the event live here:https://t.co/up3IbwCXZr
— Rajya Sabha TV (@rajyasabhatv) June 7, 2018
राज्यसभा चैनल पर आरएसएस के इस कार्यक्रम को करीब 2 घंटा 18 मिनट तक लाइव दिखाया गया, जबकि प्रणब मुखर्जी का भाषण केवल आधे घंटे तक ही चला था। राज्यसभा टीवी द्वारा इस कार्यक्रम को लाइव दिखाए जाने को लेकर कोई विवाद नहीं था, लेकिन इस चैनल पर लोगों की नजर तब पड़ी जब इसने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को संबोधित करते हुए पत्रकारिता के सभी नियमों को ताक पर रख दिया।
दरअसल, राज्यसभा टीवी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को ‘परम पूज्य’ लिखकर संबोधित किया, जिसके बाद ‘परम पूज्य’ वाला स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। राज्यसभा टीवी द्वारा मोहन भागवत को इस प्रकार से संबोधित किए जाने को लेकर वरिष्ठ पत्रकारों ने आपत्ति जताई है। पत्रकारों का कहना है कि ‘परम पूज्य’ जैसे शब्दों का उपयोग सिर्फ ‘परमात्मा’ के लिए ही किया जाता है।
पढ़िए, पत्रकारों की प्रतिक्रियाएं:-
देश के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार और लेखक वेदप्रताप वैदिक का कहना है कि ‘परम पूज्य’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल केवल ‘परमात्मा’ के लिए ही किया जाता है। ‘जनता का रिपोर्टर’ से बातचीत में वैदिक ने कहा कि अगर पत्रकारिता के उसूलों की बात करें तो पत्रकार किसी को ‘जी’ कहकर भी संबोधित नहीं कर सकता है। उन्होंने इसके लिए कमजोर हिंदी और कम ज्ञान को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आगे कहा कि लोगों (पत्रकारों) को भाषा का ज्ञान नहीं होता है, जो उनको ठीक लगता है वह लिख देते हैं। आदर देने के लिए जो शब्दों की बारिकियां होती हैं वह उन्हें पता नहीं है।
‘जनता का रिपोर्टर’ से वेदप्रताप ने कहा, “यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है। जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति थे तब उन्होंने कहा कि मुझे ‘महामहिम’ लिखना बंद कीजिए। लेकिन अभी भी कुछ लोग ‘महामहिम’ लिखते हैं, कुछ लोग ‘महामना’ लिख देते हैं या कुछ और बड़ी उपाधि दे देते हैं। वहीं कुछ लोग ‘परम आदरणीय’ बोल देते हैं। जबकि ‘परम आदरणीय’ ‘परमात्मा’ के लिए इस्तेमाल होता है और इसी प्रकार से ‘परम पूज्य’ भी ‘परमात्मा’ के लिए ही होता है यानी उससे बड़ा कोई और नहीं।”
वहीं, वैदिक के अलावा वरिष्ठ पत्रकार विद्या शंकर तिवारी ने ‘जनता का रिपोर्टर’ से बातचीत में मोहन भागवत के नाम के आगे ‘परम पूज्य’ लगाने को पत्रकारिता के वसूलों के विरुद्ध बताया है। उन्होंने कहा, “जहां तक ‘परम पूज्य’ लगाने की बात है तो यह पत्रकारिता के लिहाज से ठीक नहीं है। किसी व्यक्ति विशेष या संस्था के प्रति लगाव या बहुत सम्मान हो सकता है वह उनके (पत्रकार) निजी रिश्ते हो सकते हैं, लेकिन यह पत्रकारिता में नहीं झलकना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि पत्रकारिता में जो मापदंड स्थापित हैं या मर्यादा है यह उसके बिल्कुल विरुद्ध है।
बता दें कि यह मुद्दा सोशल मीडिया पर भी छाया हुआ है। वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने ट्वीट कर लिखा है, ” “परम पूज्य” सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत “जी”?? ये हाल हो गया है राज्यसभा टीवी का। आपके-हमारे पैसे से चलता है, पर चिलम नागपुर की भरता है।”
“परम पूज्य” सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत “जी”?? ये हाल हो गया है राज्यसभा टीवी का। आपके-हमारे पैसे से चलता है, पर चिलम नागपुर की भरता है। pic.twitter.com/qaGSFlLrCs
— Om Thanvi (@omthanvi) June 8, 2018
वहीं, एक यूजर द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में ओम थानवी ने लिखा है, “पत्रकारिता में नाम के साथ ‘जी’ तक नहीं लिखते हैं। क़ायदे की बात है।”
पत्रकारिता में नाम के साथ ‘जी’ तक नहीं लिखते हैं। क़ायदे की बात है।
— Om Thanvi (@omthanvi) June 8, 2018
इसके अलावा ओम थानवी ने ‘जनता का रिपोर्टर’ की खबर को शेयर करते हुए लिखा, “राज्यसभा-लोकसभा टीवी ही नहीं, दूरदर्शन भी संघमय हो चला है। उनके वार्ताकार, बहस के ‘अतिथि’ ज़्यादातर संघ की पृष्ठभूमि से होते हैं। सरकार की आलोचना करने वालों पर इन चैनलों में प्रतिबंध लग चुका है। … अंकेक्षण एजेंसियाँ जनता के धन के इस दुरुपयोग देखती…”
राज्यसभा-लोकसभा टीवी ही नहीं, दूरदर्शन भी संघमय हो चला है। उनके वार्ताकार, बहस के ‘अतिथि’ ज़्यादातर संघ की पृष्ठभूमि से होते हैं। सरकार की आलोचना करने वालों पर इन चैनलों में प्रतिबंध लग चुका है। … अंकेक्षण एजेंसियाँ जनता के धन के इस दुरुपयोग देखती… https://t.co/YjpSpMDOqX
— Om Thanvi (@omthanvi) June 10, 2018
वहीं, राज्यसभा और एनडीटीवी सहित तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुकीं सीनियर पत्रकार आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने तंज कसते हुए ट्वीट कर कहा कि ‘शर्म उनको मगर नहीं आती।’
शर्म उनको मगर नहीं आती …how they are slowly killing India’s first objective and credible public broadcaster… https://t.co/ue0SkFqTtf
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) June 8, 2018
इसके अलावा राज्यसभा सहित कई बड़े-बड़े संस्थानों में काम कर चुके पत्रकारों ने भी नाम न छापने के शर्त पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि अगर किसी पत्रकार का निजी तौर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से रिश्ता है तो वह उनसे मुलाकात के दौरान ‘जी’ या ‘परम पूज्य’ कहकर संबोधित कर सकता है, लेकिन पत्रकारिता के दौरान अपने निजी रिश्तों को दूर रखा जाता है।
देखिए, सोशल मीडिया पर यूजर्स के रिएक्शन
राज्यसभा टीवी संघ प्रमुख मोहन भागवत को परम पूज्य लिख रहा है।
—जनता के पैसों से चलने वाला एक समाचार चैनल भी व्यक्ति और दलपूजा का शिकार है..? pic.twitter.com/iUGrpoUyVl— सचिवालय न्यूज ? (@SachivalayaNews) June 9, 2018
भाजपा वालों ने हर जगह अपनी घटीया राजनीति को अपने चरम पर कर रखा है। किसके कहने पर ये सब कहा या लिखा गया। RSS के “परम पूज्य” सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत “जी”?? ये हाल हो गया है राज्यसभा टीवी का। आपके-हमारे पैसे से चलता है,
pic.twitter.com/Db7lN6sCmP— FIROZ AHMED ? (@firozrani31) June 8, 2018
यह पत्रकारिता है, या पोतन-तौलन
: नागपुर में स्वयंसेवक संघ के समारोह में संघ प्रमुख को परम पूज्य के तौर पर मान्यता दे दी राज्यसभा चैनल ने : सरकारी खजाने से संचालित हो रहे इस चैनल ने पैरों तले रौंद डाली पत्रकारिता की सारी मर्यादाएं : सवाल यह है कि… https://t.co/61WFHmnWYu
— kumar sauvir (@kumarsauvir1) June 8, 2018
राज्यसभा टीवी संघ प्रमुख मोहन भागवत को परम पूज्य लिख रहा है।
—जनता के पैसों से चलने वाला एक समाचार चैनल भी व्यक्ति और दलपूजा का शिकार है..? pic.twitter.com/FeLhcYZgB2— MP Congress (@INCMP) June 9, 2018
“परम पूज्य” सर संघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ? ये हाल हो गया है राज्यसभा टीवी का। देश की जनता के पैसे से चलता है, पर रंग नागपुर का चढ़ा है। @rssurjewala @drajoykumar @SinghRPN @UmangSinghar pic.twitter.com/K1MaP6fchb
— AKHILESH SINGH YADAV (@akhileshsingh_y) June 8, 2018