पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को एक बार फिर दोहराया कि प्रदर्शनकारी किसानों की आवाज को अनिश्चित काल के लिए नहीं दबाया जा सकता है और केंद्र को उनसे बातचीत शुरू करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने अमरिंदर सिंह के हवाले से एक ट्वीट कर कहा, “किसानों की आवाज को अनिश्चितकाल के लिए हल्के में नहीं लिया जा सकता है। दिल्ली की सीमाओं पर तनावपूर्ण स्थिति को टालने के लिए केंद्र को तुरंत किसान यूनियन नेताओं के साथ बातचीत शुरू करनी चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “जब स्थिति हाथ से बाहर हो रही है तो 3 दिसंबर तक इंतजार क्यों करें?”
कई ट्वीट्स में मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को आश्वस्त एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के लिए किसानों की मांग को स्वीकार करते हुए राज्य-कौशल दिखाने की आवश्यकता है क्योंकि एमएसपी हर किसान का मूल अधिकार है। उन्होंने कहा, “यदि वे मौखिक आश्वासन दे सकते हैं तो मुझे यह समझ नहीं आ रहा है कि वे इसे भारत सरकार का कानूनी दायित्व क्यों नहीं बना सकते।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “यह दावा करना कि कांग्रेस किसानों को उकसा रही है, तो उन्हें देशभर से दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे लाखों किसानों को देखना चाहिए। यह उनके जीवन और आजीविका के लिए एक लड़ाई है और उन्हें किसी भी समर्थन या उकसावे की आवश्यकता नहीं है।”
"Central govt needs to show statesmanship and accept the farmers' demand for assured MSP, which is the basic right of every farmer. If they can give verbal assurance I fail to understand why they can't make it a legal obligation of the GoI.": @capt_amarinder #FarmersProtest
— Raveen Thukral (@RT_MediaAdvPbCM) November 27, 2020
गौरतलब है कि, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान संसद के मानसून सत्र में पारित कृषि कानूनों के विरोध में आज दिल्ली मार्च कर रहे हैं और रोके जाने पर कई जगह उनके उग्र होने की खबर है जिसे देखते हुए दिल्ली की सीमा पर सतर्कता बरती जा रही है। किसानों का कहना है कि हाल में पारित तीनों कृषि कानून किसान विरोधी है। कांग्रेस इन क़ानूनों पहले से ही विरोध कर रही है। कानून को लेकर विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों के कई संगठनों से संयुक्त मोर्चा बनाकर दिल्ली चलो का आहवान किया है। (इंपुट: आईएएनएस के साथ)