हाई कोर्ट के एक फैसले पर पहली बार एक अजीब मामला सामने आया है जब कोर्ट के आदेश के बावजूद टाइपिंग की गलती के चलते कैदी की रिहाई के आदेश जारी कर दिए गए हो। मौके का फायदा उठाकर कैदी भी निकल भागा अब कोर्ट की तरफ से दूसरा आदेश आने के बाद पुलिस कैदी की तलाश में लगी हुई है।
जितेंद्र उर्फ कल्ला 16 साल 10 महीने से तिहाड़ जेल में बंद था। 2003 में उसे सजा सुनाते हुए सेशन जज ने ऑर्डर में लिखा था कि जेल से उसकी रिहाई के बारे में 30 साल से पहले विचार नहीं किया जाएगा।
डबल मर्डर का आरोपी पर कोर्ट ने सख्त रूख अपनाया हुआ था। जबकि आरोपी के वकीलों ने भी कोर्ट के इस आदेश को चुनौति नहीं दी थी बल्कि वह कह रहे थे कि सजा बहुत लम्बी है। इसे कम कर दिया जाए।
नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार, हाई कोर्ट की डबल बेंच के जज जस्टिस जीएस सिस्तानी और जस्टिस संगीता धींगड़ा सहगल ने पिछले साल 24 दिसंबर को ऑर्डर दिया। इस ऑर्डर में लिखा है, ‘हमारा विचार है कि इंसाफ के लिए 30 साल की शर्त हटाना जरूरी है। इसलिए हम सजा के पीरियड पर ऑर्डर में बदलाव करते हुए उसे अपीलकर्ता के जेल में बिताए वक्त यानी 16 साल 10 महीने करते हैं।’
आदेश में यह भी लिखा गया, ‘अपीलकर्ता को गुनहगार ठहराने के ट्रायल कोर्ट के जजमेंट को कायम रखते हुए सजा में बदलाव किया जा रहा है। अगर अपीलकर्ता की जरूरत किसी दूसरे केस में न हो तो उसे रिहा कर दिया जाए।’ इस ऑर्डर के बाद वजीरपुर निवासी जितेंद्र उर्फ कल्ला निवासी वजीरपुर को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया।
हाई कोर्ट की उसी डबल बेंच ने 14 फरवरी को एक और आदेश जारी किया। उसमें लिखा गया कि 24 दिसंबर के जजमेंट के बाद उसमें टाइपिंग की गलती नोटिस की गई। उस गलती का सुधार करते हुए अप्रासंगिक वाक्य को डिलीट किया जा रहा है। डिलीट किए वाक्य हैं- ‘अपीलकर्ता के जेल में बिताया हुआ समय यानी 16 साल 10 महीने’ और ‘अगर किसी दूसरे केस में अपीलकर्ता की जरूरत न हो तो उसे रिहा कर दिया जाए।’
इसके अलावा बेंच ने इस आदेश की काॅपी जेल अधीक्षक को भेजने का आदेश भी दिया था। आरोपी के फरार होने के बाद अब पुलिस की स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच की टीमें फरार मुलजिम जितेन्द्र कल्ला को तलाश करने पर लगी हुई है।