प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत अभियान उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दम तोड़ता दिखाई पड़ रहा है क्योकि अगर आप मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस आना चाहते हैं और आपको दमा या अस्थमा है तो आपको अधिक बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।
बनारस की फ़िज़ा खतरनाक स्तर तक प्रदूषित हो चुकी है. दीपावली के बाद तो ये प्रदूषण और बढ़ गया है. इस प्रदूषण को खतरनाक स्थिति तक ले जा रहे हैं यहां के कूड़े के ढेर जिनमें नगर निगम खुद ही आग लगा देता है।
इस समय शहरी विकास मंत्रालय की एक टीम वाराणसी में है जो विकास कार्यों और सफाई व्यवस्था का जायज़ा ले रही है। बुधवार को भी टीम जिले के आला अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रही है। बावजूद इसके शहर भर में जगह-जगह कूड़े का अंबार लगा है।
Photo courtesy: ndtvनगर निगम सफाई को लेकर कोई ख़ास कदम नहीं उठा रहा है। अगर कहीं से कूड़ा उठाया जा भी रहा है, तो खुले ट्रक में उसको दिन के समय ले जाया जा रहा है जो नियम के विरुद्ध है।
दीवाली की अगली सुबह जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार, सोनारपुरा चौराहे पर पीएम 2.5 कण 990, पीएम 10 कण 687.9 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पाया गया.
लंका पर 432.6 और 482, गोदौलिया चौराहे पर 541.5 और 720.1 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पाया गया. अपेक्षाकृत स्वच्छ माने जाने वाले पर्यटन क्षेत्र सारनाथ में चौकाने वाले आंकड़े सामने आए, जहां पीएम 2.5 की मात्रा 463 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर और पीएम 10 की मात्रा 419 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पाई गई. मच्छोदरी इलाके में पीएम 2.5 की मात्रा 632.8 और पीएम 10 की मात्रा 815.8 पाई गई। यानी इन सभी इलाकों में प्रदूषण के स्तर मानकों की तुलना में 15 से 20 गुणा ज्यादा प्रदूषित पाया गया।
यानी साफ़ है कि बनारस की फिजाओं में सिर्फ धूल ही नहीं बल्कि जगह-जगह इस तरह जलते कूड़े का जहरीले धुआं भी लोगों की ज़िन्दगी में ज़हर घोल रहा है।
इसकी वजह भी है 20 लाख की आबादी वाले इस शहर में हर रोज़ तक़रीबन 600 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है जिसके निस्तारण की कोई जगह नहीं है। लिहाजा सफाईकर्मी ज़्यादातर कूड़े ऐसे ही जला देते हैं जिससे फ़िज़ा में धूल के कण ज़िन्दगी को बेजार किए हुए हैं।
एनडीटीवी की खबर के अनुसार, इस मामले में नगर स्वास्थय अधिकारी अविनाश सिंह का कहना है, “त्योहार की वजह से कूड़ा ज़्यादा निकाला था तो कुछ जगहों पर ऐसी शिकायत मिल सकती है लेकिन हम लोग दो चार दिन में सब ठीक कर लेंगे और कहीं भी जलता कूड़ा नहीं पाया जाएगा।”
शहर के प्रतिष्ठित श्वांस रोग विशेषज्ञ और एलर्जी क्लिनिक के निदेशक डॉ. आरएन वाजपेयी ने बताया कि खुदी हुई सड़कें, कुड़ा जलाना और वाहनों का भारी दबाव बनारस को पहले से ही प्रदूषित कर चुका है. ऐसे में, दीवाली के अवसर पर पटाखों नें हवा में मौजूद जहर की मात्रा कई गुना बढ़ गई है।