मोदी सरकार देश में व्यापार सुगमता के लिये बड़े दावे कर रही थी और सरकार का लक्ष्य देश को शीर्ष 50 में लाना था लेकिन विश्व बैंक ने सरकार को आईना दिखा दिया।
कुल 190 देशों की सूची में भारत 130वीं पायदान पर आकर खड़ा हो गया। इस बात से पीएम मोदी खासे नाराज़ है उन्होंने केन्द्र के सचिवों और राज्यों के मुख्य सचिवों को विश्व बैंक की रिपोर्ट का अध्ययन करने को कहा है।
विश्व बैंक रिर्पोट के अनुसार इस समय भारत व्यापार करने की सुगमता के हिसाब से दुनिया के 190 देशों की सूची में 130वां स्थान रखता है। ये बेहद पिछड़ा हुआ रैंक हैं।
जिसके सरकार विश्व में भारत की सशक्त आर्थिक छवि के दावे खोखलें साबित हो जाते है। अब पीएम मोदी ने इस पर अधिकारियों से सुधार की गुंजाइश वाले क्षेत्रों पर सुझाव मांगे हैं। साथ ही साथ सरकार ने कम से कम एक दर्जन सुधारों को नजरअंदाज करने पर विरोध भी जताया।
पीएम मोदी ने सभी मुख्य सचिवों और सरकार के सभी सचिवों को उन क्षेत्रों की पहचान करने को कहा है, जहां उनके विभागों और राज्यों में सुधार की गुंजाइश है और सभी से इस संबंध में एक महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
एनडीटीवी की खबर के अनुसार एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल, डीएस रावत ने कहा, पिछले ढाई साल में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट नहीं के बराबर हुआ है। सरकार ने कोशिश की, लेकिन सफल नहीं रही, जबकि सीआईआई के सेक्रेटरी जनरल चंद्रजीत बैनर्जी ने कहा कि वो वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट से कुछ हैरान हैं, क्योंकि उसके नतीजे सरकार की कोशिशों से मेल नहीं खाती हैं। इतना ही नहीं वर्ल्ड बैंक ने भारत में लाल फीताशाही को लेकर बड़े और गंभीर सवाल उठाए हैं।