महाराष्ट्र की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे को राहत देते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने स्कूली बच्चों के लिए सामान खरीदने से जुड़े लगभग 206 करोड़ रुपये के ठेकों में कथित अनियमितता के मामले में उन्हें क्लीन चिट दे दी।
एसीबी के एक अधिकारी ने कहा, एसीबी ने मामला बंद कर दिया है। उनके खिलाफ लगे आरोपों को साबित करने के लिए कुछ भी नहीं था।
देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली भाजपा-शिवसेना सरकार के खिलाफ विपक्षी कांग्रेस और एनसीपी ने इस कथित घोटाले के आरोप लगाए थे। खुद को मिली क्लीन चिट पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए पंकजा ने कहा कि उन्हें बदनाम करने के लिए ही ये आरोप लगाए गए थे।
पंकजा ने कहा, मैंने कई बार कहा कि (चिक्की खरीद में गड़बड़ी) के आरोपों में कोई दम नहीं है. विधानसभा में भी कई मौकों पर मैंने आरोपों का जवाब दिया है. महिला एवं बाल कल्याण मंत्री ने कहा, जिन्होंने आरोप लगाए थे उन्हें ‘चिक्की’ खरीद में काफी गड़बड़ियां दिखीं जो (स्कूल के बच्चों में) बांटे तक नहीं गए थे।
उन्होंने कहा, मुझे बदनाम करने के लिए सुपारी ली गयी थी। भाजपा नेता ने हालांकि उन लोगों का नाम नहीं लिया जो बदनाम करने में शामिल हैं।
हालांकि सावंत ने आरोप लगाया कि ‘एसीबी राज्य सरकार के दबाव में काम कर रही है। अगर वह स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकती तो उसे बंद कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने 206 करोड़ रुपये के सामानों की खरीद के लिए 24 सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी किए थे जो कि ‘अवैध’ थे।
सावंत ने कहा कि एसीबी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के दबाव में पंकजा को क्लीन चिट दी. उन्होंने कहा कि एजेंसी ने केवल उन्हीं लोगों के रुख को सुना जिनपर आरोप लगाए गए थे और क्लीन चिट दे दी। सावंत ने एसीबी से अपनी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने को कहा।
इसी बीच राकांपा के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि उनकी पार्टी पंकजा के खिलाफ अदालत में ‘‘चिक्की घोटाला मामला’’ लड़ेगी और आरोप लगाया कि एसीबी फडणवीस के दबाव में काम कर रही है।