रियो ओलंपिक मे भारत को मैराथन में प्रस्तुत करने वाली धाविका ओपी जैशा ने ऐथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (AFI) के उस बयान का जवाब दिया है जिसमें कहा गया था कि जैशा उनके कोच ने मैराथन के समय पानी और रिफ्रेशमेंट लेने से मना कर दिया था।
Photo: News 18जैशा ने कहा (AFI) के इस बयान की जाँच होनी चाहिए। जैशा ने बताया की प्रतियोगी देशों को हर 2.5 किमी पर अपनी डेस्क लगाने की व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा प्रत्येक 8 किलोमीटर के बाद ओलिंपिक अधिकारियों का काउंटर होता है। जिसके जरिये वे अपने धावकों को पानी और अन्य रिफ्रेशमेंट प्रदान करा सकते है। जैशा का कहना है कि पूरी रेस मे ‘न तो उन्हें कोई भारतीय झंडा दिखा और न डेस्क।’
157 एथलीटों में जैशा को 89वे स्थान पर रही है। जैशा ने बताया कि 42 किमी की रेस पूरी करने के बाद वह गिर पड़ी। ”ऐसा लग रहा था कि मेरी नब्ज बंद हो गई है…और एक तरह से यह मेरा दूसरा जीवन है।
”बेंगलुरु लौटने के बाद स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के डॉक्टर जैशा की हालत देखकर दंग रह गए।
NDTV ली खबर के अनुसार, डॉक्टर एसआर सरला ने कहा, ”हम उनको अस्पताल में भर्ती कराना चाहते थे और इसके लिए एंबुलेंस का इंतजाम भी किया। ” लेकिन जैशा ने जोर देकर कहा कि ”वह इलाज के लिए घर (केरल) जाना चाहती हैं।”
इस संबंध में बेंगलुरु में अपने दर्द का इजहार करते हुए कहा , ”भीषण गर्मी में उस जैसी लंबी रेस के लिए आपको ढेर सारे पानी की जरूरत होती है। आठ किमी की यात्रा के बाद पीने के पानी का एक समान प्वाइंट होता है लेकिन आपको हर एक किमी यात्रा के बाद पानी की जरूरत होती है। अन्य एथलीटों को रास्ते में ये सुविधा मिलती रही लेकिन मुझे कुछ नहीं मिला। सिर्फ इतना ही नहीं मुझे वहां कोई एक भी भारतीय झंडा देखने को नहीं मिला। हम अपने तिरंगे से बेहद प्रेम करते हैं। यह हमको बहुत प्रेरित करता है और ऊर्जा देता है।”
जैशा का कहना है ” मैं 1500 मी इवेंट को पसंद करती हूँ और मैं यह कहना चाहती हूँ कि मुझे मैराथन ज्यादा पसंद नहीं है।” जैशा ने अपने कोच पर आरोप लगते हुए कहा की मैराथन मे भाग लेने के लिए मुझ पर कोच ने दबाब डाला था। जैशा ने बताया क़ि लोग मैराथन दौड़ पैसे के लिए दौड़ते हैं और पैसे में उनकी कोई रुचि नहीं है।