ओड़िशा में दो दिन के अंदर ऐसी र्शमनाक तस्वीरे आई हैं जिसने राज्य की नवीन पटनायक सरकार पर सवाल खड़ा कर दिया है।
दो दिन पहले एक तस्वीर कालाहांडी गांव से आई थी जिसमे एक आदिवासी समुदाय का व्यक्ति कंधे पर बीवी की लाश को ले जाता नजर आ रहा था।
और अब बहुत बेदर्द तस्वीरे सामने आई हैं जिस्से देखकर कोई भी सन्न रह जाएगा ।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार 80 वर्षीया विधवा सलमानी बेहरा की बालासोर जिले में बुधवार सुबह सोरो रेलवे स्टेशन के नजदीक एक मालगाड़ी के नीचे आ जाने से मौत हो गई थी। देरी होने की वजह से लाश अकड़ गई थी जिसकी वजह से कामगारों को लाश बांधने में परेशानी हो रही थी।
इसलिए उन्होंने कूल्हे के पास से लाश को तोड़ दिया, उसके बाद उसे पुरानी चादर में लपेटा, एक बांस से बांधा और दो किलोमीटर दूर स्थित रेलवे स्टेशन ले गए। उसके बाद लाश को ट्रेन से ले जाया गया।
photo Jansattaराजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) को घटना की जानकारी दे दी गई थी। लेकिन कर्मचारी 12 घंटे बाद वहां पहुंचे। लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए बालासोर ले जाना था लेकिन वहां कोई एंबुलेंस मौजूद नहीं थी।
इस बारे में सोरो जीआरपी के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर प्रताप रुद्र मिश्रा ने बताया कि उन्होंने लाश को ले जाने के लिए एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर से बात कि जिससे लाश को ट्रेन द्वारा बालासोर भेजा जा सके। मिश्रा ने बताया, “ऑटो ड्राइवर 3,500 रुपए मांग रहा था लेकिन हम इस तरह के काम के लिए 1000 रुपये से अधिक खर्च नहीं कर सकते। मेरे पास लाश को ले जाने के लिए सीएचसी के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था
मृतका बेहरा के 60 वर्षीय बेटे रबिंद्र बरीक का कहना है कि जब उन्हें अपनी मां की लाश के साथ किए गए व्यवहार के बारे में पता चला तो वह सन्न रह गए। उन्होंने कहा, ‘उन्हें थोड़ी और मानवता दिखानी चाहिए थी। मैंने शुरू में पुलिसवालों के खिलाफ मुकदमा करने की सोची, लेकिन हमारी शिकायत पर कार्रवाई कौन करेगा।