जानिए किस आरोप में भेजा गया था अडानी समूह को नोटिस जिसे मोदी सरकार ने रद्द कर दिया

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पीएम मोदी और अडानी समूह के मुखिया से प्रधानमंत्री के संबधों पर विस्तार से मीडिया ने बात की है। खासकर सोशल मीडिया पर अनेक ऐसी तस्वीरें वायरल हुई थी जिनमें पीएम मोदी की अडानी समूह के मुखिया के प्रति झुकाव नजर आता है। ताजा मामलें में अडानी समूह को भेज गए एक नोटिस को मोदी सरकार ने वापस कर दिया है।

अडानी ग्रुप पर आरोप लगा कि उसने आयातित ऊर्जा उपकरणों को 380 फीसदी महंगा दिखाया था। जनसत्ता की खबर के मुताबिक, मामले में अडानी एंटरप्राइजेज की महाराष्‍ट्र ईस्‍टर्न ग्रिड पावर ट्रांसमिशन कंपनी लि. (MEGPTCL), इलेक्‍ट्रोजेन इंफ्रा FZE, UAE (EIF) और अहमदाबाद की पीएमसी प्रोजेक्‍ट्स (भारत) प्राइवेट लि पर ऊर्जा व इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर मद में आयात सामन की घोषित वैल्‍यू को 1,493.4 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का आरोप था।

अब राजस्व-आसूचना निदेशालय(डीआरआई) के न्यायिक प्राधिकारी, केवीसी सिंह ने अड़ानी ग्रुप की फर्म को भेजे नोटिस को रद्द कर दिया है। हालिया 293 पन्‍नों के आदेश के साथ ही 2014 में डीआरआई द्वारा अडानी समूह पर लगाए गए 5,467 करोड़ रुपये के आरोप खारिज कर दिए गए हैं।

जबकि डीआरसी ने जो नोटिस जारी किया था उसमें कहा था कि मॉरीशस की जिस कंपनी जिसका नाम इलेक्‍ट्रोजेन इंफ्रा होल्डिंग्‍स है उसी के जरिए पैसा का लेनदेन किया गया है। इसे विनोद शांतिलाल शाह उर्फ विनोद शांतिलाल अडानी के द्वारा ही नियंत्रित की जाती है।

जबकि पिछले दिनों ही ऑस्ट्रेलिया में हजारों लोगों ने भारतीय कॉरपोरेट दिग्गज अदानी समूह की कोयला खदान परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। विरोधियों ने अडानी एंटरप्राइजेज के प्रस्तावित कारमाइकल कोयला खदान परियोजना का विरोध करने के लिए पूरे ऑस्ट्रेलिया में ‘मानव श्रृंखला’ बनाकर ‘अडानी को रोको’ लिखा था।

यह विरोध देश की सबसे बड़ी कोयले की खदान के खिलाफ था। इस मामले में कई वर्षों से पर्यावरण और वित्तपोषण के कई अहम मुद्दों को अनदेखा किया जा रहा था।

भारत के दिग्गज कारोबारियों में से एक गौतम अडानी की ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड स्थित कोयले की खान की परियोजना पर अब वहां ही हस्तियां भी सवाल उठा रही हैं। 21.7 अरब डॉलर की यह परियोजना इस साल शुरू हुई थी जिसे संघीय और क्वींसलैंड राज्य सरकार से हरी झंडी मिली थी।

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