नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनआरसी को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। विधानसभा में सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर दावा किया कि बिहार में एनआरसी लागू होने का कोई सवाल ही नहीं है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में कहा कि, “नागरिकता कानून को लेकर बहस होनी चाहिए और बिहार में एनआरसी लागू होने का कोई सवाल ही नहीं है, यह सिर्फ असम के संदर्भ में था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर सफाई दी है।” बता दे कि, सीएम नीतीश कुमार एनआरसी को लेकर पहले भी बयान दे चुके हैं।
Bihar Chief Minister Nitish Kumar in state assembly: No question of NRC in Bihar, it was in discussions only in context of Assam. Prime Minister Narendra Modi has also clarified on it. (file pic) pic.twitter.com/mpQecGaVMW
— ANI (@ANI) January 13, 2020
बता दें कि, नागरिकता कानून के खिलाफ जेडीयू में ही दो फाड़ की स्थिति तब बन गई जब पार्टी लाइन से इतर उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने बयान दिया। प्रशांत किशोर ने रविवार को भी सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तारीफ की।
प्रशांत किशोर ने रविवार (12 जनवरी) को ट्वीट कर कहा, ‘मैं सीएए-एनआरसी के औपचारिक और अप्रतिम अस्वीकृति के लिए कांग्रेस नेतृत्व को धन्यवाद देने के लिए अपनी आवाज सम्मिलित करता हूं। खासकर इसे लेकर विशेष पहल के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को विशेष धन्यवाद देता हूं।’ इसके साथ ही प्रशांत ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, ‘मैं सभी को आश्वस्त करता हूं कि बिहार में इसे लागू नहीं किया जाएगा।’
I join my voice with all to thank #Congress leadership for their formal and unequivocal rejection of #CAA_NRC. Both @rahulgandhi & @priyankagandhi deserves special thanks for their efforts on this count.
Also would like to reassure to all – बिहार में CAA-NRC लागू नहीं होगा।
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) January 12, 2020
गौरतलब है कि, नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड ने नागरिकता संशोधन विधेयक का संसद में समर्थन किया था, जिसके बाद से प्रमुख विपक्षी दल राजद लगातार उनके ऊपर हमलावर है। वहीं, इसको लेकर पार्टी के अंदर भी विरोध के स्वर उठ रहे हैं। जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर, महासचिव पवन शर्मा और गुलाम रसूल बलियाबी ने इस बिल का विरोध किया था।