सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर खराब खाने की शिकायत करने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान तेज बहादुर यादव को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने अपनी जांच में क्लीन चिट दे दी है। बता दें कि तेज बहादुर ने बीएसएफ मेस में मिल रहे खाने की खराब क्वालिटी पर सवाल उठाते हुए एक वीडियो बनाई थी जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी।तेज बहादुर ने पाकिस्तानी सीमा से लगे इलाकों में तैनात सेना के जवानों को मिलने वाले भोजन का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था। इसके बाद पिछले साल 19 अप्रैल को अनुशासनहीनता के आरोप में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। एनआईए ने तेजबहादुर के विदेशी संपर्कों को लेकर जांच की है, लेकिन एजेंसी को इसमें कुछ नहीं मिला।
NIA ने तेेेेज बहादुर के सोशल मीडिया अकाउंट और फोन कॉल्स की जांच की, लेकिन उसेे कोई साक्ष्य उसे नहीं मिले। बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल के के शर्मा ने पिछले साल उसके खिलाफ एनआईए द्वारा जांच की मांग की थी। दरअसल, खराब खाना परोसने का मुद्दा उठाने वाले बीएसएफ के इस बर्खास्त जवान पर आरोप लगे थे कि वह विदेशी संपर्क में था।
वन इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एनआईए तेज बहादुर के फेसबुक चैट, कॉल और ट्विटर अकाउंट को खंगाल रही थी। लेकिन एनआईए द्वारा जमा की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि तेज बहादुर के किसी भी विदेशी संपर्क में होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं। जांच रिपोर्ट में कहा गया है, सबूत के तौर पर एनआईए ने उनके फोन और अन्य इलेक्ट्रोनिक डिवाइस को भी खंगाला था, लेकिन वहां से भी किसी भी विदेशी संपर्क का दस्तावेज नहीं मिला है।
एनआईए ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि, 9 जनवरी 2017 को वीडियो पोस्ट करने से पहले की कॉल की डिटेल की जांच की गई थी। जिसमें किसी भी विदेशी संपर्क का कोई सबूत नहीं दिखा है। उनके कॉल डिटेल में यूके, सऊदी अरब, यूएई, ऑस्ट्रेलिया और कोरिया के किसी भी नंबर से संपर्क का कोई भी कनेक्शन नहीं मिला है।
यादव ने नौकरी से बर्खास्त करने के फैसले को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी हुई है। मंगलवार को इसकी सुनवाई के दौरान उसने यह रिपोर्ट अदालत को सौंपा। जवान की याचिका पर बीते मंगलवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस पीबी बजंथरी ने तल्ख टिप्पणी करते हुए इसे ‘ब्लंडर’ बताया था। कोर्ट ने साफ कहा था कि अगर कोई सिपाही रोटी मांग रहा है तो उससे बदले में रोटी ही छीन लेंगे क्या?
हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल को नोटिस जारी कर 28 मई तक जवाब मांगा है। तेज बहादुर ने याचिका में कहा है कि उसने खाने की शिकायत करते हुए एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों पर भोजन की राशि के नाम पर घपला करने का आरोप लगाया था। तेजबहादुर का आरोप है कि पिछले साल 31 जनवरी को ऐच्छिक सेवानिवृत्ति के आधे घंटे बाद बीएसएफ ने उसे अवैध तरीके से रोक लिया और बिना पक्ष रखने का मौका दिए बर्खास्त कर दिया।
तेजबहादुर ने अपनी याचिका में कहा है कि उसने खाने का वीडियो वरिष्ठ अधिकारियों को सबूत दिखाने के लिए तैयार किया था, लेकिन उसके दोस्तों ने उसे बिना बताए वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। बता दें कि तेजबहादुर ने पिछले साल 9 जनवरी में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल करके हलचल पैदा कर दी थी। तेजबहादुर ने अपने वीडियो में बीएसएफ जवानों को दिए जाने वाले खाने को दिखाया था।
तेजबहादुर के वीडियो वायरल होने के बाद उसे बार्डर से मंडी स्थित हेडक्वार्टर में बुला लिया गया। बाद में 10 जनवरी को उसका मोबाईल भी जब्त कर लिया गया। तेजबहादुर को 31 जनवरी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दी जानी थी, लेकिन जांच का हवाला देकर उसकी सेवानिवृत्ति को भी रद्द कर दिया गया।