गोवा बंदरगाह पर पिछले 9 दिनों से रूस से लाया गया नया मिग-29के लड़ाकू विमान धूल फाख रहा है। यह विमान तब तक कहीं नहीं जा सकता जब तक रक्षा मंत्रालय 160 करोड़ रुपये से ज्यादा की कस्टम ड्यूटी चुका नहीं देता। इसी साल सरकार ने कहा था कि सेना को भी अब आयातित सामानों पर कस्टम ड्यूटी चुकानी पड़ेगी। इसके पीछे विचार यही था कि भारतीय रक्षा निर्माताओं के लिए एक समान स्तर उपलब्ध कराया जाए।
लेकिन सेना के साजोसामान के आयात पर मिलने वाली छूट को हटा लेने के वित्त मंत्रालय के फैसले के बाद अब सभी सैन्य सामानों का आयात टैक्स के दायरे में आ गया है।
न्यूज़ चैनल एनडीटीवी के मुताबिक 2 मई को रूस से आए मिग-29के के अलावा मिराज 2000 विमानों के कलपुर्जे और रूस में निर्मित ट्रांसपोर्टर विमान आईएल-76 के मरम्मत किए हुए इंजन विभिन्न हवाईअड्डों और बंदरगाहों पर पड़े हैं। देशभर में हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर इन दिनों करोड़ों रुपये के मरम्मत किए गए विमान इंजनों और सैन्य साजोसामान की संख्या बढ़ती जा रही है।
सीमा शुल्क के अलावा एक अनुमान के मुताबिक हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर पड़े इन कीमती उपकरणों को रखने के लिए रक्षा मंत्रालय को हर रोज़ करीब 35 लाख रुपये चुकाने होंगे। हालांकि रक्षा मंत्रालय का कहना है कि सीमा शुल्क की रकम चुकाने के लिए जल्द ही बजट उपलब्ध करा दिया जाएगा और सभी अटके पड़े साजोसामान अगले दो-तीन दिनों में क्लियर करा लिए जाएंगे।