मोदी सरकार धीरे-धीरे हज सब्सिडी खत्म करेगी। केंद्र सरकार ने शनिवार(7 अक्टूबर) को मुंबई में नई हज नीति पेश की। इसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए सब्सिडी खत्म करने का प्रस्ताव रखा गया है। साथ ही हज नीति 2018-22 में हज यात्रियों को समुद्री मार्ग से भेजने के विकल्प पर काम करने की बात की गई है।
File Photo: AFPइस बीच नई हज नीति 2018-22 के लिए रूपरेखा का सुझाव देने वाली समिति ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। नई हज नीति में 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को बिना मेहरम के हज पर जाने की इजाजत देने का प्रस्ताव भी रखा गया है।
मेहरम कोटा 200 से बढ़ाकर 500 करने का प्रस्ताव है। नई नीति में 70 फीसदी यात्री हज समिति और 30 फीसदी निजी टूर आपरेटर भेजेंगे। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार हज सब्सिडी को धीरे-धीरे खत्म करेगी।
न्यूज एजेंसी भाषा की खबरों को मानें तो सूत्रों के मुताबिक नीति में यह प्रावधान किया गया है कि हज यात्रियों के प्रस्थान के स्थानों की संख्या को 21 से घटाकर नौ किया जाएगा। दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता, अहमदाबाद, मुंबई , चेन्नै, हैदराबाद, बेंगलुरु और कोच्चि से लोग हज के लिए प्रस्थान कर सकेंगे।
इन शहरों में उपयुक्त हज भवनों के निर्माण और दूरदराज के इलाकों और इन प्रस्थान स्थलों के बीच संपर्क बेहतर करने का प्रस्ताव भी दिया गया है। साथ ही समुद्री रास्ते से हज के सफर के विकल्प पर सऊदी अरब सरकार से विचार-विमर्श करने और पोत कंपनियों की रुचि और सेवा की थाह लेने के लिए विज्ञापन देने का भी प्रस्ताव है।
हज नीति तैयार करने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। नई हज नीति को 2012 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक तैयार किया गया है। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि 10 साल की अवधि में सब्सिडी खत्म की जाए।
45 साल से ऊपर की महिलाएं अकेले जा सकेंगी हज
नई नीति में 45 साल से ऊपर की महिलाओं को अकेले हज पर जाने के इजाजत दी गई है। इसके लिए महिलाएं बिना मेहरम के हज पर जा सकेंगी, हालांकि वे चार महिलाओं के समूह में जा सकेगी। इससे पहले कोई भी महिला अपने सगे रिश्तेदार के बिना हज पर नहीं जा सकती थी।
500 होगा मेहरम का कोटा
अब 45 वर्ष से अधिक उम्र की मेहरम के लिए कोटा 200 से बढ़ाकर 500 किए जाने का भी प्रस्ताव है। गौरतलब है कि मेहरम उसे कहते हैं जिससे महिला का निकाह नहीं हो सकता। मसलन, पिता, सगा भाई, बेटा और पौत्र-नवासा मेहरम हो सकते हैं।
आबादी के हिसाब से तय होगा हज कोटा
नई हज नीति के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए हज कोटे का प्रावधान उनके यहां की मुस्लिम आबादी के अनुपात में किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर के लिए कोटा 1500 से बढ़ाकर 2000 करने का भी प्रस्ताव है। नई हज नीति में प्रस्ताव किया गया है कि भारतीय हाजियों को ठहराना मीना की पारंपरिक सीमाओं के भीतर सुनिश्चित किया जाए।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ओर से गठित समिति के संयोजक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अफजल अमानुल्लाह थे। पूर्व न्यायाधीश एस एस पार्कर, भारतीय हज समिति के पूर्व अध्यक्ष कैसर शमीम और इस्लामी जानकार कमाल फारकी इसके सदस्य थे तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में हज प्रभारी संयुक्त सचिव जे. आलम समिति के सदस्य सचिव थे।
2018 से नई हज नीति हो जाएगा लागू
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि 2018 से नई हज नीति प्रभावी हो जाएगी। प्रस्तावित सुविधाओं को देखते हुए यह एक बेहतर नीति है। यह पारदर्शी और जनता के अनुकूल नीति होगी। यह हज यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
नई हज नीति में हज समिति और निजी टूर ऑपरेटरों के जरिये जाने वाले हज यात्रियों के अनुपात को भी स्पष्ट किया गया है। अब कुल कोटे के 70 फीसदी हज यात्री हज समिति के जरिये जाएंगे तो 30 फीसदी निजी टूर ऑपरेटरों के जरिये हज पर जाएंगे।