मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता का विरोध किया है। उनकी ओर से कहा गया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड देश के लिए अच्छा नहीं है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता का विरोध करते हुए कहा कि देश में कई संस्कृतियां हैं। जिनका सम्मान होना चाहिए।
संविधान ने ही हमें जीने और अपने धर्म का पालन करने का अधिकार दिया है। मुस्लिमों ने भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बराबरी से हिस्सा लिया, लेकिन उनका योगदान हमेशा कम करके आंका जाता है।” बोर्ड केन्द्र सरकार के कदम पर खासा नाराज है।
Photo courtesy: ANIगौरतलब है कि विधि एवं न्याय मंत्रालय ने गत शुक्रवार को देश की सर्वोच्च अदालत के समक्ष दायर अपने हलफनामे में लैंगिक समानता, धर्मनिरपेक्षता, अंतरराष्ट्रीय समझौतों, धार्मिक व्यवहारों और विभिन्न इस्लामी देशों में वैवाहिक कानून का जिक्र किया और पर्सनल लॉ बोर्ड के पक्ष का प्रतिवाद किया।
कानून एवं न्याय मंत्रालय ने अपने हलफनामे में लैंगिक समानता, धर्मनिरपेक्षता, अंतरराष्ट्रीय समझौतों, धार्मिक व्यवहारों और विभिन्न इस्लामी देशों में वैवाहिक कानून का जिक्र किया ताकि यह बात सामने लाई जा सके कि एक साथ तीन बार तलाक की परंपरा और बहुविवाह पर शीर्ष न्यायालय द्वारा नये सिरे से फैसला किए जाने की जरूरत है।