पिछले 11 सालों में पहली मर्तबा सुप्रीम कोर्ट में एक भी मुस्लिम जज नही

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दो मुस्लिम जज जस्टिस एमवाई इक़बाल और जस्टिस फकीर मौहम्मद इस साल सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए हैं। और पिछले 11 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट में कोई मुस्लिम जज नहीं है।

आखिरी बार 2012 में किसी मुस्लिम जज की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति हुई थी। जस्टिस एमवाई इक़बाल और जस्टिस फकीर मोहम्मद 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। दोनों ही इस साल सेवानिवृत्त हो गए।

अभी देश के दो हाई कोर्टों के मुख्य न्यायाधीश मुस्लिम हैं। असम के रहने वाले जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी बिहार हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं। जस्टिस अंसारी अगले साल अक्टूबर में रिटायर होंगे। जम्मू-कश्मीर के रहने वाले जस्टिस सीजे मंसूर अहमद मीर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं।

जस्टिस मीर अप्रैल 2017 में रिटायर होंगे। हाई कोर्ट के जजों की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 साल और सुप्रीम कोर्ट के जजों की 65 है। सुप्रीम कोर्ट में  अधिकतम 31 जजों की नियुक्ति हो सकती है। उच्चतम अदालत में फिलहाल 28 जज ही हैं। इस साल के अंत तक चार अन्य जज जस्टिस वी गोपाल गौड़ा, जस्टिस चोकालिंगम, जस्टिस शिव कीर्ति सिंह, जस्टिस अनिल आर दवे रिटायर हो जाएंगे।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णनन ने उच्चतम अदालत में किसी भी मुस्लिम जज के न होने पर चिंता जताते हुए कहा, “उम्मीद है कि जल्द ही इसे मुस्लिम जज मिल जाएंगे। सवाल ये नहीं है कि उनका हक मारा जा रहा है, सवाल सर्वोच्च अदालत में सभी धर्मों, जातियों और क्षेत्रों के समुचित प्रतिनिधित्व का है। कई देशों में राष्ट्रीय अदालत में सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व के लिए विशेष प्रावधान हैं।”

सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो चुके 196 और मौजूदा 28 जजों में कुल 17 (7.5 प्रतिशत) जज मुस्लिम रहे हैं। चार मुस्लिम जज जस्टिस एम हिदायतुल्लाह, जस्टिस एम हमीदुल्लाह बेग, जस्टिस एएम अहमदी और जस्टिस अलतमस कबीर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जस्टिस एम फातिमा बीवी जज भी एक मुस्लिम थीं। उन्होंने 6 अक्टूबर 1989 से 29 अप्रैल 1992 तक सुप्रीम कोर्ट में अपनी सेवाएं दी थीं।

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