शायर मुनव्वर राणा ने भोपाल में सिमी के सदस्यों के एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए कहा कि एनकाउंटर में जब तक 5-10 पुलिसवाले और 15-20 लोग ना मारे जाए, तब तक एनकाउंटर कैसा?
मुनव्वर राणा ने कहा कि आजकल लोगों की मांग पर एनकाउंटर होने लगे हैं। लोगों की मर्जी से फांसी दे दी जाती है। किसी की जेब से ऊर्दू में लिखा खत मिल जाता है तो उसे आतंकी करार दे दिया जाता है।
यह सब राजनेताओं को खुश करने के लिए किया जाता है। शायर मुनव्वर राना ने भोपाल एनकाउंटर पर आज की हुकूमत पर अपनी नज्म जनता का रिर्पोटर को दी जिसमें सियासत के इशारे पर हो रहे सियासी खेलों का अपनी नज्म में बयां किया है।
मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है
हुकूमत के इशारे पर तो मुर्दा बोल सकता है
यहाँ पर नफ़रतों ने कैसे कैसे गुल खिलाये हैं
लुटी अस्मत बता देगी दुपट्टा बोल सकता है
हुकूमत की तवज्जो चाहती है ये जली बस्ती
अदालत पूछना चाहे तो मलबा बोल सकता है
कई चेहरे अभी तक मुँहज़बानी याद हैं इसको
कहीं तुम पूछ मत लेना ये गूंगा बोल सकता है
बहुत सी कुर्सियां इस मुल्क में लाशों पे रखी हैं
ये वो सच है जिसे झूठे से झूठा बोल सकता है !
सियासत की कसौटी पर परखिये मत वफ़ादारी
किसी दिन इंतक़ामन मेरा गुस्सा बोल सकता है