अमेरिकी रेटिंग्स एजेंसी मूडीज कॉर्प. ने शुक्रवार को भारत की क्रेडिट रेटिंग्स को एक पायदान ऊपर कर दिया। एजेंसी ने स्टेबल आउटलुक देते हुए भारत की रेटिंग ‘Baa2’ कर दी। मूडीज के आंकड़े भारत को आर्थिक दृष्टिकोण से बेहतर पायदान पर दिखा रहे है और PM मोदी के फैसले नोटबंदी और GST की जमकर तारीफ करते नजर आ रहे है।
2008 के फाइनेंशियल क्राइसेज के दौर में रेटिंग बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के आरोप में मूडीज कॉर्प. पर लगभग 5800 करोड़ रुपए (86.4 करोड़ डॉलर) का जुर्माना लगाया गया था। रेटिंग एजेंसी जोखिम भरे मॉर्टगेज इन्वेस्टमेंट्स की रेटिंग बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए दोषी पाई गई थी।
अपनी गलती को मानते हुए एजेंसी ने माना था कि उसने सिक्युरिटीज के रिस्क की रेटिंग देने के लिए अपने ही मानदंडों का पालन नहीं किया था। मूडीज ने माना था कि उसने कुछ फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स के लिए बहुत हल्के मानकों का इस्तेमाल किया और अपने प्रकाशित मानकों के मुकाबले उनमें कितना अंतर है, इसके बारे में पब्लिक को नहीं बताया था।
इस बारें में टिप्पणी करते हुए तब प्रिंसिपल डिप्टी एसोसिएट अटॉर्नी जनरल बिल बाइर ने कहा था कि मूडीज अपने खुद के रेटिंग स्टैंडर्ड को लागू करने में असफल रही और एक बड़ी मंदी के समय में ट्रांसपेरेंसी का प्रदर्शन करने में भी असफल रही।
भारत में नोटबंदी और GST के बाद जो देश मे जो आर्थिक परिदृश्य उभर कर आया है वह बताता है नई नौकरियां बनी नहीं है। कारोबारी तौर पर निचले पायदान के व्यपारी को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। लेकिन इन सबसे परे जाकर मूडीज के रेटिंग सुधार पर मोदी सरकार में खुशियों की लहर दौड़ पड़ी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर मूडीज के ताजा फैसले का स्वागत किया।
Moody's believes that the @narendramodi Government's reforms will improve business climate, enhance productivity, stimulate foreign and domestic investment, and ultimately foster strong and sustainable growth. @MoodysInvSvc
— PMO India (@PMOIndia) November 17, 2017
PMO का ध्यान बढ़त के आंकड़ो पर तो गया लेकिन इसके साथ ही भारत को सावधान करते हुए मूडीज ने यह भी कहा कि कर्ज का बड़ा बोझ अब भी देश की क्रेडिट प्रोफाइल का अवरोधक है। सुधारों की वजह से कर्ज में तेज वृद्धि का जोखिम होगा। वस्तु एवं सेवा कर (GST) जैसे सुधार से राज्यों के बीच व्यापार की बाधा को हटाकर उत्पादकता बढ़ाएंगे।
मूडीज के बयान में कहा गया है, ‘इनमें से ज्यादातर कदमों का असर दिखने में वक्त लगेगा और जीएसटी और नोटबंदी जैसे कुछ कदमों ने निकट भविष्य में विकास पर दबाव भी डाला है।’
आपको बता दे कि रेटिंग देने के इस सिस्टम देने की शुरुआत 1909 में जॉन मूडी ने की थी। इसका मकसद इन्वेस्टर्स को एक ग्रेड देना है, ताकि मार्केट में उसकी क्रेडिट बन सके। Moody’s कॉर्पोरेशन, Moody’s इन्वेस्टर्स सर्विस की पेरेंट कंपनी है, जो क्रेडिट रेटिंग और रिसर्च का काम करती है। Moody’s फिलहाल ग्लोबल कैपिटल मार्केट का अहम हिस्सा है। ये फाइनेंशियल मार्केट को क्रेडिट रेटिंग, रिसर्च टूल्स और एनालिसिस देता है।