मोदी सरकार ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी अमेरिकी रिपोर्ट को किया खारिज

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भारत ने अमेरिकी विदेश विभाग की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा है कि देश के नागरिकों के संविधान द्वारा संरक्षित अधिकारों पर टिप्पणी का कोई औचित्य नहीं है। उनकी रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2018 में हिंदू कट्टरपंथी समूहों ने अल्पसंख्यकों पर हमले किए हैं। इसका जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने एक बयान में कहा कि भारत को अपनी धर्म निरपेक्षता की विश्वसनीयता, सबसे बड़े लोकतंत्र तथा लंबे अर्से से चले आ रहे सहिष्णु एवं समावेशी समाज पर गर्व है।

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रवीश कुमार ने कहा कि भारत का संविधान अल्पसंख्यकों सहित अपने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है। इस बात को हर कहीं मान्यता दी गई है कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है जहां संविधान धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार तथा लोकतांत्रिक शासन एवं देश का कानून मौलिक अधिकारों का संरक्षण एवं संवर्धन करता है। प्रवक्ता ने कहा कि एक विदेशी संस्था द्वारा हमारे नागरिकों के संविधान संरक्षित अधिकारों की स्थिति पर टिप्पणी करने का कोई औचित्य नहीं है।

बता दें कि इससे पहले भाजपा ने अमेरिका के विदेश विभाग द्वारा जारी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को नरेंद्र  मोदी सरकार और भाजपा के प्रति पूर्वाग्रह से प्रेरित एवं झूठा करार दिया और कहा कि भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं की जड़ें बहुत गहरी हैं। भाजपा के मीडिया प्रकोष्ठ के प्रमुख अनिल बलूनी ने एक बयान में कहा कि 2018 की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट मोदी सरकार और भाजपा के प्रति पूर्वाग्रह से प्रेरित है। इस रिपोर्ट की मूल अवधारणा कि यहां अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा के पीछे कोई षडयंत्र है, सरासर झूठ है। (इनपुट- एजेंसी के साथ)

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