‘मैं बहुत ही दुख के साथ कह रहा हूं कि 8 नवंबर अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र के लिए काला दिन था’

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गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखें जितना नजदीक आती जा रहीं है, राजनीतिक दल के नेता उतनी ही तेजी से राज्य में चुनाव प्रचार कर मतदाओं को रिझाने में लगे हुए है। राज्य में चुनामी धमासान के बीच सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस लगातार एक दूसरे पर हमलावर हैं।

जहां एक तरफ बीजेपी के लिए वोट मांगने खुद पीएम मोदी चुनावी अखाड़े में उतर चुके हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक सभी दिग्गज नेता गुजरात सरकार को घेरने में लगे हैं।इसी बीच शनिवार (2 दिसंबर) को मनमोहन सिंह ने सूरत में कारोबारियों को संबोधित करते हुए नोटबंदी ओर GST को लेकर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा।

जाने-मोन अर्थशास्त्री ओर देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि, ‘मैं प्रधानमंत्री मोदी के हौसले को सलाम करना चाहता हूं कि वो ब्लैकमनी को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहते हैं लेकिन नोटबंदी का उपयोग ब्लैकमनी को ‘सफेद मनी’ बनाने में हुआ है। अमीरों ने अपना ब्लैकमनी सफेद में बदल लिया, जबकि गरीबों को असंख्य तकलीफों का सामना करना पड़ा।’

‘मैं जानता हूं कि पिछले एक वर्ष में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है लेकिन हम एक जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते उनका समाधान करने की हर संभव कोशिश करेंगे।’

साथ ही उन्होंने कहा कि, ‘नोटबंदी के बाद लाइन में खड़े-खड़े करीब 100 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। मैं बहुत ही दुख के साथ कह रहा हूं कि 8 नवंबर इकॉनमी और लोकतंत्र के लिए काला दिन था।’

जीएसटी पर उन्होंने कहा कि, ‘जीएसटी अच्छा आईडिया था लेकिन गलत तरीके से लागू किया गया, सूरत भरोसे पर चलता है। आपने अच्छे दिन का भरोसा किया, लेकिन उल्टा हुआ।’

बता दें कि, इससे पहले पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने मंगलवार (7 नवंबर) को गुजरात में व्यापारियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी और उनकी सरकार पर नोटबंदी, जीएसटी, गरीबी और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर जमकर हमला बोला था। नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए पूर्व पीएम ने इसे देश के इतिहास की सबसे बड़ी लूट बताया था।

सिंह ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी छोटे कारोबारियों के लिए बुरे सपने की तरह, आम लोगों को इससे काफी परेशानी हुई। उन्होंने कहा कि सरकार ने नोटबंदी का जो मकसद बताया वह पूरा नहीं हुआ, कालेधन वालों को पकड़ा नहीं जा सका।

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