विजय माल्या और मिशेल जैसे भगोड़े हमें सौंप दिजिए, भारत ने ब्रिटेन से किया अनुरोध

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भारत और ब्रिटेन केंद्रीय गृह मंत्री स्तर पर सालाना रणनीतिक बातचीत के दौरान भारत ने ब्रिटेन से शराब कारोबारी विजय माल्या और अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाॅप्‍टर सौदे के कथित बिचैलिए क्रिस्टीन मिशेल सहित करीब 60 वांछित लोगों को भारत लाने का अनुरोध किया है।
ताकि इन भगौड़ों को न्याय के अंदर में लाया जा सके। भारत और ब्रिटेन केंद्रीय गृह मंत्री स्तर पर सालाना रणनीतिक बातचीत करने पर भी सहमत हुए ताकि आतंकवाद, संगठित अपराध, वीजा और आव्रजन जैसे मुद्दों से साझा रूप से निपटा जा सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी ब्रिटिश समकक्ष थेरेसा मे के बीच हुई द्विपक्षीय बातचीत के दौरान करीब 60 वांछित लोगों की सूची ब्रिटेन को सौंपी गई। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ब्रिटेन ने भी भारत को 17 ऐसे लोगों की सूची सौंपी जिनकी हिरासत उसे परस्पर कानूनी सहायता संधि के तहत चाहिए या जिनके खिलाफ लेटर रोटेगरी जारी हो चुका है।
समाचार एजेंसी भाषा की खबर के अनुसार, उद्योगपति विजय माल्या धनशोधन के आरोपी हैं वहीं क्रिस्टीन मिशेल 3600 करोड़ रुपये के अगस्तावेस्टलैंड हेलीकाॅप्‍टर सौदे में कथित बिचैलिया हैं। दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि भगोड़ों और अपराधियों को कानून से बचने नहीं दिया जाएगा और लंबित प्रत्यर्पण अनुरोधों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। मोदी और थेरेसा मे के बीच हुई बातचीत में प्रत्यर्पण के अनुरोधों का मुद्दा भी उठा और इस मुद्दे से संबंधित दोनों देशों के अधिकारियों को जल्दी बैठक करने का निर्देश दिया गया।
सूत्रों ने कहा कि बातचीत के बाद भारत को ब्रिटेन से माल्या के प्रवर्तन की दिशा में आगे बढ़ने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं की मुलाकात के पहले दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत में भी माल्या के प्रत्यर्पण का मामला उठा था।
आईपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी भी भारत में कानून से बच रहे हैं तथा सोमवार की बातचीत के बाद भारतीय अधिकारियों को उनके प्रत्यर्पण के मामले को भी आगे बढ़ाने में मदद मिल सकती है। मिशेल सीबीआई द्वारा वांछित हैं, वहीं माल्या और ललित मोदी धनशोधन से जुड़े मामलों में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा वांछित हैं।
माल्या और ललित मोदी दोनों ब्रिटेन में रह रहे हैं। बयान में कहा गया है कि दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि भगोड़ों और अपराधियों को कानून से बचने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने दोनों पक्षों के लंबित प्रत्यर्पण अनुरोधों को आगे बढ़ाने पर भी जोर दिया.
इस क्रम में उन्होंने प्रत्यर्पण मामलों से जुड़े दोनों पक्षों के अधिकारियों को जल्दी मिलने का निर्देश दिया ताकि दोनों देशों की कानूनी प्रक्रिया और जरूरतों की बेहतर समझ विकसित हो सके, साथ ही वे विलंब के कारणों की पहचान कर सकेंगे और लंबित अनुरोधों में तेजी लाएंगे।
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