मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में अब पत्रकारिता की पढ़ाई के साथ-साथ गौशाला भी खुलने जा रहा है। जी हां, यह गौशाला विश्वविद्यालय के कैंपस में खोली जाएगी। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने इस बाबत बताया है कि विश्वविद्यालय के नए कैंसप में खाली जमीन का बेहतर उपयोग के लिए गौशाला बनाने का फैसला किया गया है।
विश्वविद्यालय के कुलपति बी के कुठियाला ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में बताया कि हमारे पास 50 एकड़ के कैंपस हैं जिसमें से दो एकड़ में गौशाला बनाई जाएगी। कुलपति ने यह भी बताया कि इस गौशाला से छात्रावास में रहने वाले छात्रों को दूध, मक्खन और घी भी मिलेगा। साथ ही उन्होंने बताया कि गौशाला के साथ-साथ सब्जी की खेती भी होगी।
A new experiment. 'Gau shala' will be on around 2 acre land. This doesn't need permission from UGC: Deepak Sharma, Registrar, Makhanlal Univ pic.twitter.com/0GLKkPC0fv
— ANI (@ANI) August 23, 2017
रिपोर्ट के मुताबिक, नया परिसर शहर से दूर लगभग 50 एकड़ क्षेत्र में विशनखेड़ी में बन रहा है, वहां 500 छात्रों का छात्रावास और कर्मचारियों के निवास होंगे। लिहाजा, उनकी जरूरत को ध्यान में रखकर इस कैंपस में गौशाला व सब्जी उगाने की योजना है। इससे वहां रहने वालों को दूध और सब्जी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
कुठियाला ने एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में कहा कि हमारे पास करीब 2 एकड़ की जमीन ऐसी है, जिसके इस्तेमाल को लेकर हम कुछ भी तय नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में शिल्पकारों के सामने इसके इस्तेमाल का सवाल खड़ा हुआ। इस बारे में हमारे पास कई सुझाव आए, जिनमें से एक गोशाखा शुरू करने का भी था। इस पर हमने काम शुरू कर दिया है।
वहीं, एक न्यूज एजेंसी से विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव (रेक्टर) लाजपत आहूजा ने बताया कि नए परिसर में लगभग पांच एकड़ जमीन शेष है, उसमें से दो एकड़ में गौशाला बनाई जाएगी और शेष में सब्जी उगाने का काम किया जाएगा। इसका विश्वविद्यालय के छात्रों, कर्मचारी और अध्ययन से कोई लेना देना नहीं है। विश्वविद्यालय के इस फैसले पर कई पार्टी के लोगों ने सवाल उठाया।
विपक्ष ने उठाए सवाल
फैसले की निंदा करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि कुलपति अपने आरएसएस के गुरुओं को खुश करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आखिर पत्रकारिता की यूनिवर्सिटी के लिए इसका क्या मतलब है? छात्र यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता सीखने के लिए आएंगे या फिर गोसेवा करेंगे।
वहीं, माकपा के राज्य सचिव बादल सरोज ने एक बयान जारी कर कहा है कि दिल्ली के जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में टैंक रखने की खबर आई और अब भोपाल के पत्रकारिता विश्वविद्यालय में गोशाला खोलने का प्रस्ताव सामने आया है। ऐसा करके क्या संस्थान खोजी पत्रकारिता की क्षमता बढ़ाने के लिए गोबर और गौमूत्र पर शोध प्रबंध लिखवाएगी? वहीं, कई पूर्व छात्रों ने भी इस फैसले को हास्यास्पद बताया है।