संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने बुधवार (3 दिसंबर) शाम को बंद खत्म करने की फैसला किया है। बता दें कि एक जनवरी को पुणे के पास स्थित भीमा-कोरेगांव में दलित समाज के शौर्य दिवस पर भड़की जातीय हिंसा के विरोध में प्रकाश अंबेडकर सहित सैकड़ों दलित संगठनों द्वारा पूरे महाराष्ट्र में बंद का ऐलान किया गया था। बुधवार को महराष्ट्र बंद के ऐलान के बाद कई जगहों पर हिंसक झड़प हुई जिसके बाद पूरे महाराष्ट्र में तनाव की स्थिति बनी रही। फिलहाल राज्य में मोटे तौर पर हालात शांतिपूर्ण हैं और लोकल ट्रेन की सेवाएं फिर से बहाल हो गई हैं।
PHOTO: PTIबता दें कि 250 से अधिक दलित संगठनों का महाराष्ट्र बंद का समर्थन किया था। इस प्रदर्शन के कारण मुंबई के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। महाराष्ट्र के पुणे में दो दिन पहले हुई हिंसा और उसके बाद अलग-अलग इलाकों में हुये विरोध प्रदर्शनों के बाद आज बुलाये गये बंद के दौरान सरकारी परिवहन की बसों पर पथराव की छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो स्थिति सामान्य है। बंद की वजह से कई स्कूलों तथा बाजारों को आज बंद रखा गया है।
Activist and grandson of BR Ambedkar, Prakash Ambedkar withdraws Maharashtra bandh call #BhimaKoregaonViolence (File pic) pic.twitter.com/Smi74KFgcf
— ANI (@ANI) January 3, 2018
राज्य में दलित नेताओं के बंद के आह्वान के बीच आज मुंबई में एक बार फिर बसों को निशाना बनाया गया। दलित नेता भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं सालगिरह के दौरान भड़की हिंसा का विरोध कर रहे हैं। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की आपदा प्रबंधन इकाई के एक अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने कलानगर इलाके (बांद्रा), धारावी, कामराज नगर, संतोष नगर, डिंडोशी और हनुमान नगर में ‘बेस्ट’ की 13 बसों में तोड़फोड़ की। पूर्वी उपनगरों में कल प्रदर्शनों के कारण शहर में सड़क यातायात बाधित रहा।
नहीं हुई किसी युवक की मौत
मुंबई में घाटकोपर स्टेशन पर आज सुबह दलित कार्यकर्ताओं ने उपनगरीय रेल सेवा को बाधित किया। मध्य रेलवे की छत्रपति शाहुजी महाराज टर्मिनस की तरफ जाने वाली मुख्य लाइन पर रेल सेवा प्रभावित रहीं जिससे ऑफिस जाने वाले हजारों यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। प्रदर्शन की वजह से मुंबई में मशहूर डिब्बेवालों को भी आज अपनी सेवाएं ना देने का फैसला करना पड़ा। सुरक्षा कारणों से 99 फीसदी बसें सड़कें पर नहीं उतरी।
वहीं गृह राज्य मंत्री (ग्रामीण) दीपक केसरकर का कहना है कि दलित समाज से किसी की जान नहीं गई है। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर अफवाह और भ्रामक संदेश फैलाए जा रहे हैं। उन्होंने लोगों को इस सबसे सतर्क रहने की सलाह दी। केसरकर ने बताया कि महाराष्ट्र में स्थिति शांतिपूर्ण बनी हुई है।
There has been no death of a person from Dalit community. Wrong messages are being spread on social media, people have to be very cautious. The situation overall is peaceful in Maharashtra: Deepak Kesarkar, MoS, Home Rural on #BhimaKoregaonVoilence pic.twitter.com/TtHeqE5oTm
— ANI (@ANI) January 3, 2018
हिंसा पर संसद में हंगामा
महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव युद्ध की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम के बाद राज्य में भड़की हिंसा को उकसावे का परिणाम बताते हुए कांग्रेस ने लोकसभा में बुधवार को इस घटना के लिए हिंदूवादी संगठनों और आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया। वहीं सरकार ने इस मुद्दे पर विपक्षी दल पर हिंसा की आग को बुझाने के बजाय उसे भड़काने का आरोप लगाया।
कांग्रेस ने भाजपा पर दलितों के खिलाफ अत्याचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए मांग की कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव की घटना पर बयान देना चाहिए तथा सुप्रीम कोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश से मामले की जांच करानी चाहिए। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विषय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया और कहा कि वह दलितों से जुड़ी इस तरह की घटनाओं पर हमेशा चुप रहते हैं और वह मौनी बाबा बने हुए हैं।
कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री से इस मामले में सदन में बयान देने की मांग की। उधर संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी हिंसा की आग को बुझाने के बजाय उसे और भड़काने का काम कर रहे हैं। अनंत कुमार ने कहा कि खड़गे जी महाराष्ट्र की समस्या का निदान नहीं करना चाहते, बल्कि उसे भड़काना चाहते हैं। वह राजनीति करना चाहते हैं।
अनंत कुमार ने कहा कि कांग्रेस बांटो और शासन करो की राजनीति कर रही है। और सबका साथ सबका विकास करके नरेंद्र मोदी जी देश को साथ ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि आग को बुझाने के बजाय भड़काने का काम मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी कर रही है। वहीं, मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि समाज में बंटवारा करने के लिए, कट्टर हिंदुत्ववादी जो वहां (महाराष्ट्र) RSS के लोग हैं, इसके (हिंसा) पीछे उनका हाथ है, उन्होंने ये काम करवाया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिए न्यायिक जांच के आदेश
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे में हुई हिंसा की न्यायिक जांच कराने के आदेश दिया है। इसके साथ ही हिंसा में मारे गए युवक के परिजन को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है। फडणवीस के मुताबिक मामले की पूरी जांच बॉम्बे हाईकोर्ट के जज करेंगे।
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मामले में ट्वीट कर बीजेपी और आरएसएस पर फासिस्ट सोच होने का आरोप लगाया है। जबकि बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी इस हिंसा के लिए आरएसएस और बीजेपी को जिम्मेदार बताया है। साथ ही उन्होंने कहा है कि ये जो घटना घटी है ये रोकी जा सकती थी। सरकार को वहां सुरक्षा का उचित प्रबंध करना चाहिए था।
क्या है पूरा मामला?
हिंसा की शुरुआत पुणे के कोरेगांव-भीमा से सोमवार (1 जनवरी) को तब शुरू हुई, जब कुछ दलित संगठनों ने 1 जनवरी 1818 में यहां पर ब्रिटिश सेना और पेशवा के बीच हुए युद्ध की 200वीं वर्षगांठ मनाने जुटे। भीमा-कोरेगांव युद्ध के शौर्य दिवस के आयोजन को लेकर हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई। दरअसल कोरेगांव भीमा में 1 जनवरी 1818 को पेशवा बाजीराव पर ब्रिटिश सैनिकों की जीत की 200वीं सालगिरह मनाई जा रही थी।
इतिहासकारों के मुताबिक 1 जनवरी 1818 को भीमा-कोरेगांव में अंग्रेजों की सेना ने पेशवा बाजीराव द्वितीय की 28,000 सैनिकों को हराया था। दलित नेता इस ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं। दलित नेता ब्रिटिश फौज की इस जीत का जश्न इसलिए मनाते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जीतने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़ी टुकड़ी में ज्यादातर महार समुदाय के लोग थे, जिन्हें अछूत माना जाता था। इसे कोरेगांव की लड़ाई भी कहा जाता है। दलित समुदाय इस युद्ध को ब्रह्माणवादी सत्ता के खिलाफ जंग मानता है।
एक जनवरी को पुणे में कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने इस ‘ब्रिटिश जीत’ का जश्न मनाए जाने का विरोध किया था। हिंसा तब शुरू हुई जब एक स्थानीय समूह और भीड़ के कुछ सदस्यों के बीच स्मारक की ओर जाने के दौरान किसी मुद्दे पर बहस हुई। भीमा कोरेगांव की सुरक्षा के लिए तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि, ‘‘बहस के बाद पथराव शुरू हुआ। हिंसा के दौरान कुछ वाहनों और पास में स्थित एक मकान को क्षति पहुंचाई गई।’’