एक साल के बीमार बच्चे को गोद में लेकर गुहार लगाती रही महिला लेकिन ABVP ने रोके रखा रास्ता

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इंदौर में सोमवार को एबीवीपी ने शक्ति प्रदर्शन के लिए अपनी निकाली। इस रैली के कारण सैकड़ो वाहन जाम में फंस गए और शहर की यातायात व्यवस्था चौपट हो गई। इस जाम में एक साल के बीमार बच्चे को अस्पताल ले जा रही एक महिला फंस गई। बच्चा सख्त बीमार था और बच्चे की जान पर बनी हुई थी। लेकिन  एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने रास्ता रोके रखा और पुलिस मूकदर्शक बनी देखती रही।

Photo courtesy: Naidunia

महिला नंगे पांव सड़क पर बच्चे को उठाकर दौड़े जा रही थी। क्योंकि उस समय बच्चे के लिए एक-एक पल कीमती था। लेकिन एबीवीपी के कार्यकर्ता इस महिला की गुहार को अनसुना करते हुए अपने शक्ति प्रदर्शन में लगे रहे। मौके पर मौजूद एक फोटो जर्नलिस्ट चेतन सोनी ने इस सारी घटना को अपने कैमरे में कैद कर लिया और उस महिला को अस्पताल पहुंचाया।

नई दुनिया की खबर के अनुसार, पश्चिमी इंदौर का बड़ा इलाका तीन घंटे से भी अधिक जाम के कारण बंद रहा क्योंकि यहां पर एबीवीपी के प्रांतीय नेताओं ने देशभर से आए कार्यकर्ताओं को शहर की संस्कृति से परिचित करवाने के लिए रैली निकालने का अयोजन किया हुआ था।

Photo courtesy: Naidunia

इसमें विभिन्न प्रदेशों की वेशभूषा में आए युवा नारे लगाते चल रहे थे। पुलिस-प्रशासन को पूर्व सूचना के बाद भी आधे घंटे में ही हालात बिगड़ गए। रैली जैसे ही भंवरकुआं चौराहे से टावर चौराहे की ओर मुड़ी, इस रोड पर जाम लग गया।

तेज बुखार के बाद बेहोश हुए नन्हे देवांश को गोद में उठाए उसकी बुआ महक तलरेजा वाहनों की भीड़ के बीच रास्ता देने की गुहार लगाती रही। बोलतीं रहीं, ‘मुझे अस्पताल जाना है… मेरा बच्चा मर रहा है… मुझे रास्ता दो… मेरे बच्चे को बचाओ… लेकिन न ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों का दिल पसीजा, न जाम में फंसे लोगों में से कोई मदद के लिए आगे आया। रैली में नारे लगाती भीड़ भी उन्हें देखते हुए अपनी राह चलती रही। बदहवास महिला सिंधूनगर से करीब एक किलोमीटर दौड़कर किसी तरह भंवरकुआं चौराहा स्थित अस्पताल पहुंची।

बच्चे के पिता किशोर टेकचंदानी ने बताया दोपहर में उसे अचानक तेज बुखार आया। वे उसे बहन महक के साथ अस्पताल ले जा रहे थे। सिंधु नगर से निकलकर चौराहे पर आए तो पुलिस ने बाइक रोक दी। इसी बीच देवांश बेसुध हो गया। यह देख महक ने बच्चे को लेकर दौड़ लगा दी। इधर, पुलिस ने रैली का हवाला देकर उन्हें जाने नहीं दिया। उन्हें लगा अस्पताल पहुंच ही नहीं पाएंगे। कुछ देर बाद वे गाड़ी वहीं छोड़कर अस्पताल पहुंचे।

इस बारे में इस महिला की मदद करने वाले प्रेस फोटोग्राफर चेतन सोनी ने बताया कि मैं शोभायात्रा को कवर कर रहा था। यात्रा भंवरकुआं से टॉवर चौराहा जाने वाले मार्ग पर थी। तभी अचानक एक महिला दौड़ती दिखी। गोद में एक बच्चा था। तीन-चार फोटो क्लिक करने के बाद मुझे कुछ शंका हुई। मैंने महिला से पूछा तो रोते हुए वह सिर्फ इतना कह सकी कि मेरा बच्चा मर रहा है, उसे अस्पताल ले जाना है।

इतना सुनते ही मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैंने कैमरा बैग में रख दिया और महिला के साथ दौड़ लगा दी। इसी बीच एक अन्य अखबार के रिपोर्टर ने मुझे देखा और वह भी मेरे साथ दौड़ पड़ा। हम दोनों महिला का रास्ता बनाते हुए अस्पताल पहुंचे। तब तक महिला थक चुकी थी। मैंने उसे संभाला और साथी रिपोर्टर ने बच्चे को आईसीयू में पहुंचाया। कुछ देर बाद बच्चे के पिता भी मौके पर पहुंच गए। बाद में डाक्टरों ने बच्चे का उपचार किया जिससे उसकी जान बचाई जा सकी।

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