अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने वसीम रिजवी को दिया जवाब, बोले- ‘आतंकवादी नहीं, IAS अधिकारी पैदा करते हैं मदरसे’

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उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख वसीम रिजवी के मदरसों से जुड़े विवादित बयान को खारिज करते हुए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद गैयूरूल हसन रिजवी ने रविवार (14 जनवरी) को कहा कि मदरसों को आतंकवाद से जोड़ना ‘हास्यास्पद’ है, क्योंकि इनसे पढ़ाई करने वाले बच्चे अब आईएएस अधिकारी तक बन रहे हैं। बता दें कि पिछले दिनों वसीम रिजवी ने मदरसों पर आतंकवाद को बढावा देने का आरोप लगाकर उन्हें बंद करने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था।

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अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष रिजवी ने न्यूज एजेंसी ‘भाषा’ से कहा कि, ‘‘मदरसों को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश बहुत बचकाना और हास्यास्पद है। एक या दो घटनाओं को लेकर मदरसों को बदनाम नहीं किया जा सकता। आज के समय मदरसों से पढ़ने वाले बच्चे आईएएस अधिकारी भी बन रहे हैं और दूसरे क्षेत्रों में नाम कमा रहे हैं। मैं तो यह कहूंगा कि मदरसे आतंकवादी नहीं, बल्कि आईएएस पैदा करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि ऐसी कई मिसालें मिलती हैं जब मदरसों से पढ़े बच्चों ने यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी हासिल की है। दारूल उलूम देवबंद से पढ़ाई करने वाले मौलाना वसीमुर रहमान ने 2008 में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी। उनको 404वीं रैंक मिली थी। उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में मदरसा ‘अली अरबिया’ से पढ़ाई करने वाले मौलाना हम्माद जफर ने 2013 में यूपीएससी की परीक्षा पास की और उनको 825वीं रैंक हासिल हुई थी।

गैयूरुल हसन रिजवी ने कहा कि, ‘‘वह सरकार की नजर में अच्छा बनने के लिए इस तरह की बातें कर रहे हैं। लेकिन मैं पूरे यकीन से कह सकता हूं कि सरकार को इनकी बातों पर कोई यकीन नहीं है। सरकार तो मदरसों का आधुनिकीकरण करना और इनको आगे बढ़ाना चाहती है।’’

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Posted by Janta Ka Reporter on Friday, 12 January 2018

खुद उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखले वाले अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हाल के समय में मैं कई मदरसों में गया और पाया कि वहां बहुत बदलाव आया है। मदरसों में अब आधुनिक शिक्षा दी जा रही है। जो मदरसे आधुनिक शिक्षा से दूर हैं सरकार उनके लिए भी काम कर रही है।’’

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने गत आठ जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मदरसों को ‘मानसिक कट्टरवाद’ को बढ़ावा देने वाला बताते हुए उन्हें स्कूल में तब्दील करने और उनमें इस्लामी शिक्षा को वैकल्पिक बनाने का अनुरोध किया था।

रिजवी ने पत्र में यह भी दावा किया था कि मदरसों में गलत शिक्षा मिलने की वजह से उनके विद्यार्थी धीरे-धीरे आतंकवाद की तरफ बढ़ जाते हैं। इस विवादित बयान को लेकर प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने वसीम रिजवी को कानूनी नोटिस भेजकर उनसे 20 करोड़ रुपये बतौर हर्जाना मांगा हैं।

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