दिल्ली के नए उप-राज्यपाल अनिल बैजल के नियुक्ति के बाद उम्मीद थी कि केजरीवाल सरकार और एलजी के बीच टकराव समाप्त हो जाएगा। उप-राज्यपाल तो बदल गए, लेकिन दिल्ली सरकार और एलजी सचिवालय के बीच एक बार फिर दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया है।
इस बार उप-राज्यपाल पर सरकारी फाइलें लीक करने का आरोप लगाते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर हमला बोला है। दिल्ली सरकार के मंत्री मानते हैं कि ऐसा आम आदमी पार्टी(आप) की सरकार को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है।
सीएम केजरीवाल ने खास तौर पर 97 करोड़ रुपये के विज्ञापन विवाद से जुड़ी फाइलों के लीक होने की जांच करवाने का फैसला किया है। साथ ही केजरीवाल सरकार ने उप-राज्यपाल के दफ्तर में काम करने वाले अफसरों के कॉल डिटेल्स और विजिटर रजिस्टर की भी जांच के आदेश दिए हैं।
बता दें कि पिछले उप-राज्यपाल नजीब जंग के साथ भी केजरीवाल सरकार का छत्तीस का आंकड़ा था। हालांकि, अनिल बैजल के उप-राज्यपाल बनने के बाद एक-दो मामलों को छोड़ दें तो कुछ दिनों तक कोई टकराव नहीं हुआ, लेकिन सरकार के इस फैसले से नया सियासी तूफान खड़ा हो सकता है।
गौरतलब है कि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने पिछले महीने 29 मार्च को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव एमएम कुट्टी को आम आदमी पार्टी से विज्ञापन मद में खर्च हुए 97 करोड़ रुपये वसूलने के निर्देश दिए थे। उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को यह पैसा 30 दिन के अंदर वसूलने का आदेश दिया था।
इसके अलावा अनिल बैजल ने पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल के परिवार को 1 करोड़ रुपये मुआवजा देने की केजरीवाल सरकार के प्रस्ताव को खारिज करते हुए फाइल लौटा दी थी। फाइल लौटाते हुए उप-राज्यपाल ने कहा कि राम किशन ग्रेवाल दिल्ली के नागरिक नहीं है, बल्कि वह हरियाणा के रहने वाले हैं, इसलिए मुआवजा नहीं मिल सकता।


















