चारा घोटाला के एक मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत की ओर से दोषी ठहराए जाने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को कितने दिनों की सजा मिलेगी, इसका ऐलान अब गुरुवार (4 जनवरी) को होगा। 23 दिसंबर को कोर्ट ने लालू को दोषी करार दिया था। अदालत ने 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में फैसला सुनाया है।
Express file photo of Lalu Prasad Yadavकोर्ट ने इस मामले में 22 आरोपियों में से लालू यादव समेत 16 लोगों को दोषी ठहराया था, जबकि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा समेत 6 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया। गौरतलब है कि इस घोटाले से जुड़े एक मामले में 2013 में निचली अदालत ने लालू को दोषी करार दिया था। इस मामले में दोषी ठहराये गए सभी 16 लोगों को हिरासत में लेकर बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया था।
सजा सुनने के लिए लालू प्रसाद यादव रांची की बिरसा मुंडा जेल से कोर्ट पहुंच चुके हैं, लेकिन कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और कल सजा का ऐलान होगा। उन्हें विशेष सीबीआई अदालत ले जाया जाएगा जहां चारा घोटाले से जुड़े मामले में सजा का ऐलान होगा। अदालत ने लालू को धोखाधड़ी करने, साजिश रचने और भ्रष्टाचार के आरोप में भादवि की धारा 420, 120 बी और पीसी एक्ट की धारा 13( 2) के तहत दोषी पाया था।
#FLASH: Quantum of sentence for Lalu Yadav and others in a fodder scam case to be pronounced tomorrow pic.twitter.com/vRLwN139aJ
— ANI (@ANI) January 3, 2018
लालू को पहले ही पांच साल की हो चुकी है सजा
गौरतलब है कि इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, सत्तर लाख रुपये अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में इन सभी को सजा हो चुकी है। तीन अक्तूबर 2013 को रांची स्थित सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह की अदालत ने लालू को पांच साल की सुनाई थी।
साथ ही अदालत ने 25 लाख का जुर्माना भी अदा करने को कहा था। चाईबासा तब अविभाजित बिहार का हिस्सा था। हालांकि उस मामले में लालू प्रसाद फिलहाल जमानत पर हैं। लेकिन सजायाफ्ता होने के बाद वे संसद की सदस्यता गंवा बैठे और चुनाव लड़ने के भी अयोग्य हो गए।
38 लोग थे आरोपी
वर्ष 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की फर्जीवाड़ा करके अवैध ढंग से पशु चारे के नाम पर निकासी के इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे, जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्तूबर, 1997 को मुकदमा संख्या आरसी/64 ए/1996 दर्ज किया था।
सभी 38 आरोपियों में से जहां 11 की मौत हो चुकी है, वहीं तीन सीबीआई के गवाह बन गये जबकि दो ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था, जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गई थी। इसके बाद 22 आरोपी बच गए थे, जिनके खिलाफ 23 दिसंबर को अदालत अपना फैसला सुनाया।
क्या है चारा घोटाला?
बता दें कि चारा घोटाला मामला सरकार के खजाने से 900 करोड़ रुपए की फर्जीवाड़ा का है। इसमें पशुओं के लिए चारा, दवाओं आदि के लिए सरकारी खजाने से पैसा निकाला गया था। चारा घोटाला पहली बार 1996 में सामने आया। उस वक्त लालू यादव की सरकार थी। इस घोटाले में 950 करोड़ रुपए के गबन का आरोप है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों और राजनेताओं की मिलीभगत से इस घोटाले को अंजाम दिया गया था।