‘कश्मीर प्रेस क्लब’ (केपीसी) ने घाटी में संचार पाबंदियों की कड़ी निंदा की है और कहा है कि इन सेवाओं को बहाल किया जाए। अधिकारियों का कहना है कि प्रशासन मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं की बहाली के बारे में उचित समय पर निर्णय करेगा। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने के 51 दिन पूरे हो चुके हैं लेकिन हालात अभी पूरी तरह से सामान्य नहीं हो सके हैं और जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है।

केंद्र द्वारा पिछले महीने जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद से घाटी के ज्यादातर हिस्सों में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं रद्द हैं। समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, एक बयान में ‘कश्मीर प्रेस क्लब’ ने सरकार से अपनी इस मांग को दोहराया है कि घाटी में संचार पाबंदियों को तुरंत हटाया जाए। इसमें कहा गया कि घाटी में मीडिया को बिना किसी परेशानी के काम करने में सक्षम होना चाहिए।
बयान में कहा गया, ‘‘केपीसी कश्मीर में लंबे समय से और अभूतपूर्व ढंग से संचार सेवाएं बंद रहने के चलते चिंतित है। इसने पत्रकारों और मीडिया के काम को बुरी तरह बाधित किया है।’’ प्रेस क्लब ने कहा, ‘‘इस संचार पाबंदी के चलते पत्रकार अपंग हो गए हैं और जमीनी हालात के बारे में खबरों की पुष्टि नहीं कर पा रहे हैं। ये अवरोध पूरी तरह अवांछनीय और अतार्किक हैं और इसका मकसद कश्मीरी प्रेस को चुप कराना है।’’
इसमें कहा गया है कि प्रेस क्लब ने सरकार से कई बार कहा है कि वह समाचार पत्र के कार्यालयों, पत्रकारों और क्लब के लिए संचार व्यवस्थाओं को चालू करे। बयान में कहा गया कि इसके बावजूद हो रही देरी के चलते इस बात की पुष्टि होती है कि सरकार घाटी में मीडिया के काम करने लायक माहौल मुहैया नहीं कराना चाहती है। अधिकारियों ने बताया कि घाटी में मंगलवार को भी जनजीवन प्रभावित रहा। इस दौरान मुख्य बाजार बंद रहे और सार्वजनिक परिवहन भी बंद रहा।