मध्य प्रदेश: फ्लोर टेस्ट से पहले सीएम कमलनाथ ने गृह मंत्री अमित शाह को लिखा पत्र, कांग्रेस विधायकों की रिहाई की मांग की

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मध्य प्रदेश में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वह कथित तौर पर बेंगलुरु और अन्य जगहों पर रखे गए कांग्रेस के 22 विधायकों की ‘रिहाई’ सुनिश्चित करें ताकि ये विधायक विधानसभा के सत्र में शामिल हो सकें। इस बीच, राज्यपाल ने यह भी आदेश दे दिया है कि सोमवार (16 मार्च) को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करवाया जाए और कमलनाथ अपना बहुमत साबित करें।

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फाइल फोटो: कमल नाथ

मीडिया को जारी शाह को लिखे अपने चार पृष्ठ के पत्र में कमलनाथ ने कहा, ‘आप कृपया केन्द्रीय गृह मंत्री होने के नाते अपनी शक्तियों का प्रयोग करें जिससे कांग्रेस के 22 विधायक जो बंदी बनाए गए हैं वे वापस मध्यप्रदेश सुरक्षित पहुंच सकें और 16 मार्च से प्रारंभ होने वाले विधानसभा सत्र में विधायक के रुप में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को बिना भय अथवा लालच के निर्वाह कर सकें।’

कमलनाथ ने तीन मार्च 2020 के बाद के मध्यप्रदेश में हो रहे घटनाक्रम का विस्तार से उल्लेख करते हुए गृहमंत्री को पत्र लिखा और विधायकों की रिहाई करवाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल द्वारा मुझे सूचित किया गया है कि जो विधायक विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष सुनवाई में भाग लेंगे उनकी सुरक्षा का भार सीआरपीएफ को सौंपा जाना चाहिए।

उन्होंने लिखा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के नाते सभी नागिरकों जिसमें विधायकगण भी शामिल हैं कि सुरक्षा सुनिश्चत करने का उत्तर दायित्व मुझ पर है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि यदि कर्नाटक पुलिस द्वारा इन 22 विधायकों को रिहा कर दिया जाता है तो मैं राज्य सरकार की ओर से उच्चतम सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करूंगा ताकि वे न केवल बिना किसी डर के अपनी बात विधानसभा अध्यक्ष के समझ रख सकें बल्कि विधानसभा की आगामी दिनों में होने वाली विविध कार्यवाही में भी शामिल हो सकें।

बता दें कि, इससे पहले शुक्रवार को राज्यपाल लालजी टंडन ने कमलनाथ सरकार में शामिल सिंधिया समर्थक 6 मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। वहीं, शनिवार को विधानसभा के स्पीकर एनपी प्रजापति ने इन 6 बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए।

दरअसल, इस समय सिंधिया समर्थक अधिकतर विधायक बेंगलुरू में हैं। वहीं शुक्रवार को मध्य प्रदेश भाजपा के नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर बेंगलुरू में मौजूद सिंधिया समर्थक विधायकों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी। भाजपा ने इन विधायकों के मध्य प्रदेश आने पर इनके लिए सुरक्षा की मांग भी की थी। भाजपा नेताओं की ओर से कहा गया था कि मध्य प्रदेश पुलिस की सुरक्षा पर उन्हें भरोसा नहीं है इसलिए विधायकों को सीआरपीएफ की सुरक्षा प्रदान की जाए।

बता दें कि, मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता और पूर्व सांसद ज्योदिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के एक दिन बाद बुधवार (11 मार्च) को दिल्ली स्थित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मुख्यालय में पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की मौजूदगी में आधिकारिक रूप से भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा जॉइन करने के कुछ घंटे के भीतर ही ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया को राज्यसभा का टिकट भी मिल गया।

मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें

गौरतलब है कि, मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से दो सीटें फिलहाल खाली हैं। इस प्रकार वर्तमान में प्रदेश में कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 भाजपा, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी एवं एक समाजवादी पार्टी का विधायक शामिल हैं। अगर 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिये जाते हैं तो विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या महज 206 रह जाएगी। उस स्थिति में बहुमत के लिये जादुई आंकड़ा सिर्फ 104 का रह जाएगा। ऐसे में, कांग्रेस के पास सिर्फ 92 विधायक रह जाएंगे, जबकि भाजपा के 107 विधायक हैं। कांग्रेस को चार निर्दलीयों, बसपा के दो और सपा के एक विधायक का समर्थन हासिल है। उनके समर्थन के बावजूद कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से दूर हो जाएगी। (इंपुट: भाषा के साथ)

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