जानें, कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो को भारत सरकार द्वारा नजरअंदाज किए जाने को लेकर क्या है विशेषज्ञों की राय?

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एक सप्ताह के भारत दौरे पर आए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सोमवार (19 फरवरी) को गुजरात पहुंचे। जहां वे सबसे पहले परिवार के साथ साबरमती आश्रम पहुंचे। जस्टिन ट्रूडो और उनका परिवार पूरी तरह भारतीय वेश-भूषा में नजर आया। साबरमती आश्रम में ट्रूडो की पत्नी सोफिया चरखा चलाते हुए भी नजर आईं। बता दें कि ट्रूडो के साथ उनकी पत्नी और तीनों बच्चे भी भारत आए हैं।

Photo: @JustinTrudeau

साबरमती आश्रम में कुछ वक्त गुजारने के बाद ट्रूडो ने पूरे परिवार संग गांधीनगर के प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर का दौरा किया। इसके अलावा वे आईआईएम अहमदाबाद के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। भारत यात्रा के दौरान ट्रूडो मुंबई और  अमृतसर भी जाएंगे। 20 फरवरी को मुंबई में शीर्ष उद्योगपतियों तथा फिल्म जगत के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे।वहीं दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए 23 फरवरी को पीएम मोदी और जस्टिन ट्रूडो मुलाकात करेंगे।

ताज का किया दीदार

इससे पहले कनाडियन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पूरे परिवार के साथ रविवार (18 फरवरी) को आगरा पहुंचकर विश्व प्रसिद्ध ताजमहल का दीदार किया। उन्होंने यहां लगभग पौने दो घंटे का समय गुजारा। प्रधानमंत्री ने ताजमहल को लाजवाब बताते हुए विजिटर्स बुक पर लिखा कि यह स्थल दुनिया में अतिसुंदर है। यहां परिवार के साथ आकर काफी खुश हुआ।

कनाडा के प्रधानमंत्री सुबह लगभग 10 बजे शिल्पग्राम से बैटरी बस में ताजमहल पहुंचे। उन्होंने पत्नी सोफी, तीनों बच्चों जेवियर जेम्स, इला ग्रेस और हेड्रेन ग्रगोएर के साथ ताजमहल को निहारा। उनके साथ कनाडा का जो व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल आया है उसने भी प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ ताज का दीदार किया। ताज के इतिहास के बारे में उन्हें काफी जानकारी थी।

सात दिवसीय भारत यात्रा

जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर अपनी सात दिवसीय भारत यात्रा के लिए शनिवार (17 फरवरी) को राजधानी दिल्ली पहुंचे। यह उनका पहला आधिकारिक भारत दौरा है। ट्रूडो 17 फरवरी से 24 फरवरी, 2018 तक भारत दौरे पर हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री के दौरे का मकसद दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, ऊर्जा, विज्ञान एवं नवाचार, ऊच्च शिक्षा, बुनियादी विकास और अंतरिक्ष समेत कई क्षेत्रों के साझा हितों को लेकर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना है।

इसके अलावा, दोनों देश आपसी हितों के वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार साझा करेंगे। वे सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए सहयोग पर प्रतिबद्धता जताएंगे। ट्रूडो ने भारत रवाना होने से पहले ट्वीट किया था कि, भारत के लिए यह व्यस्त दौरा है जो बेहतर रोजगार सृजन, और दोनों देशों के लोगों के बीच गहरे संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित होगा। इस दौरे में वह कारोबार जगत के दिग्गजों, फिल्म उद्योग के प्रतिनिधियों तथा छात्रों के साथ संवाद करेंगे।

फीका रहा स्वागत

कनाडियन पीएम 23 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। हालांकि ट्रूडो के दिल्ली पहुंचने पर उनके स्वागत को फीका बताया जा रहा है। दरअसल शनिवार को जस्टिन ट्रूडो अपने परिवार और प्रतिनिधिमंडल सहित दिल्ली पहुंचे थे। इस दौरान पीएम मोदी की तरफ से उनका स्वागत न किए जाने के कारण इस स्वागत को फीका बताया गया है। कनाडा का मीडिया पूछ रहा है कि आखिर पीएम मोदी ने उनके प्रधानमंत्री का उस तरह से स्‍वागत क्‍यों नहीं किया जैसे वह बाकी देश के नेताओं का करते हैं?

दरअसल, कानाडा के लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर भी इस बात को लेकर सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर क्‍यों पीएम मोदी, ट्रूडो का इंतजार करते हुए नजर नहीं आए। जस्टिन ट्रूडो नई दिल्ली पहुंचे तो उनकी अगवानी करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोधपुर के सांसद और केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राजदूत विकास स्वरूप को एयरपोर्ट भेजा। वहीं आगरा पहुंचने पर यूपी सीएम के योगी आदित्यनाथ ने भी उनका स्वागत नहीं किया। आगरा के जिलाधिकारी गौरव दयाल तथा कमिश्नर के. राममोहन राव कनाडा के पीएम के स्वागत के लिए मौजूद रहे।

जस्टिन ट्रूडो के हफ्ते भर के दौरे में भारत द्वारा उचित सम्मान नहीं मिलने को कनाडा मीडिया ने मुद्दा बना दिया है। बता दें कि पीएम मोदी ने अबतक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, अबु धाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नहयान, बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना और इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को एयरपोर्ट पर खुद जाकर स्वागत किया है।

क्या है विशेषज्ञों की रॉय?

कजाख्स्तान, लातविया और स्वीडन में भारत के पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार का मानना है कि जस्टिन ट्रूडो को भारत सरकार द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जा रहा है। ‘जनता का रिपोर्टर’ से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि कनाडा एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वहां के लोग भारतीय संस्कृति से काफी जुड़े हुए हैं। पीएम मोदी द्वारा जस्टिन ट्रूडो को एयरपोर्ट पर स्वागत नहीं किए जाने को लेकर सज्जनहार ने कहा कि अभी ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी भी जब भारत पहुंचे तो उनके अगवानी में भी पीएम मोदी एयरपोर्ट नहीं पहुंचे थे।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार रूहानी का राष्ट्रपति भवन में स्वागत किया गया, मुझे उम्मीद है उसी प्रकार से कानाडाई पीएम का भी आगभगत होगा। उन्होंने कहा कि अगर ट्रूडो का उस प्रकार से स्वागत नहीं किया जाएगा तब उनको नजरअंदाज करने का सवाल उठाया जा सकता है। पूर्व राजदूत का मानना है कि भारत सरकार ने प्रोटोकॉल के तहत जस्टिन ट्रूडो का स्वागत किया गया है।

हालांकि उन्होंने यह बात स्वीकार किया कि जिस प्रकार से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सहित अन्य देशों के प्रमुखों का प्रोटोकॉल से आगे बढ़ते हुए स्वागत किया गया उस प्रकार से कनाडाई पीएम का नहीं किया गया है। सज्जनहार का कहना है कि कनाडा में भारत की अखंडता के विरूद्ध काम हो रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पीएम मोदी अपने कानाडाई समकक्ष से जब मुलाकात करेंगे तब खालिस्‍तान समर्थकों का मुद्दा उठा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से विदेशी मीडिया कानाडाई पीएम को लेकर भारत सरकार पर उत्साह नहीं दिखाए जाने का आरोप लगा रहे हैं उसका एक कारण कनाडा के मंत्रियों पर जो अलग सिख राज्य खालिस्तान के गठन को लेकर हुए आंदोलन से जुड़े होने का आरोप लगा है वह भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि कनाडा पर सिख अलगाववादियों के साथ नरमी बरतने के आरोप लगता रहा है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह अगर उनसे मुलाकात नहीं करते हैं तो यही एक वजह हो सकता है।

वहीं, विदेशी मामलों के जानकार और जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन वर्मा का भी कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी सभी के स्वागत के लिए एयरपोर्ट नहीं जा सकते हैं। जहां तक बेंजामिन नेतन्याहू और अन्य नेताओं के मुकाबले कानाडाई पीएम को स्वागत करने का सवाल है तो सभी देशों के साथ अपने-अपने रिश्ते होते हैं। पूर्व राज्यसभा सांसद ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि हो सकता है कि खालिस्तानी समर्थकों को जिस प्रकार से कनाडा में समर्थन मिल रहा है इस वजह से भी उम्मीद के मुताबिक उनका स्वागत नहीं किया गया हो, लेकिन अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि जस्टिन ट्रूडो को भारत सरकार द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है।

क्या हो सकती है वजह?

दरअसल, इस घटनाक्रम को खालिस्तान मुद्दे के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पिछले साल कनाडा के मंत्रियों पर एक अलग सिख राज्य खालिस्तान के गठन को लेकर हुए आंदोलन से जुड़े होने का आरोप लगाया था। अमरिंदर ने कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन को साफ तौर पर ‘खालिस्तानी समर्थक’ करार दिया था। बता दें कि ट्रूडो की कैबिनेट कनाडा की पहली ऐसी कैबिनेट है जिसमें सबसे ज्‍यादा सिख मंत्री हैं।

बता दें कि ट्रूडो को कथित रूप से खालिस्तानियों का समर्थक कहा जाता है। ट्रूडो पर आरोप लगते रहे हैं कि वह अपने देश में खालिस्तानियों को समर्थन देते हैं। उन्होंने सिख अलगाववादी आंदोलन में शामिल लोगों को अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाया था, इससे मामला और बिगड़ गया। कनाडा सहित भारतीय जानकार भी इसे ही वजह मान रहे हैं।

कनाडा के अखबार टोरंटो सन के कॉलमनिस्ट कैंडिस मालकॉम ने सवाल उठाया है कि जब पीएम ट्रूडो भारत पहुंचे तो प्रधानमंत्री मोदी उन्हें लेने क्यों नहीं पहुंचे? उन्होंने पीएम मोदी की कुछ तस्वीरें शेयर की हैं। उन तस्वीरों में पीएम मोदी अमेरिका, इजरायल के राष्ट्रपतियों और यूएई के क्राउन प्रिंस का स्वागत करने एयरपोर्ट पर देखे जा सकते हैं। मालकॉम ने ट्रूडो के मौजूदा दौरे की भी तस्वीर साझा की हैं।

 

 

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