रिटायरमेंट के बाद सरकार के ऑफर और आलोक वर्मा से जुड़े विवादों पर बोले जस्टिस सीकरी- ‘चाहता हूं समाप्त हो जाए पूरा विवाद’

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सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए के सीकरी चाहते हैं कि सीबीआई प्रमुख पद से आलोक वर्मा को हटाने वाली समिति की उनकी सदस्यता और उनके अवकाशग्रहण करने के बाद प्रस्तावित जिम्मेदारी को लेकर पैदा हुआ विवाद का पटाक्षेप हो। वहीं, सोमवार को कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने इस घटना को शरारतपूर्ण करार दिया और कहा कि उन्हें निशाना बनाने के उद्देश्य से ऐसा किया गया।

न्यायमूर्ति सीकरी ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश वाई के सभरवाल के जीवन पर आधारित एक किताब से जुड़े एक निजी समारोह से इतर पीटीआई से कहा, ‘‘मैं नहीं चाहता कि यह विवाद और खिंचे। मैं चाहता हूं कि यह समाप्त हो।’’ उन्होंने इस मामले में और कोई टिप्पणी नहीं की।

गौरतलब है कि लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (सीएसएटी) में नियुक्ति के संबंध में पिछले साल सरकार की ओर से पेशकश किए जाने पर रविवार को विवाद शुरू हो गया था। इसके तीन दिन पहले ही प्रधानमंत्री नीत एक समिति ने वर्मा को सीबीआई प्रमुख से हटाने का फैसला किया था और उस समिति में न्यायमूर्ति सीकरी प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल थे। न्यायमूर्ति सीकरी के मत से वर्मा को पद से हटाने के फैसले में मदद मिली।

जाहिरा तौर पर इस विवाद से आहत न्यायमूर्ति सीकरी ने सरकारी पेशकश पर अपनी सहमति वापस ले ली। न्यायमूर्ति सीकरी प्रधान न्यायाधीश गोगोाई के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। उन्होंने सोमवार को पत्रकारों से दूरी बनाए रखी। लेकिन पूर्व एटार्नी जनरल मुकल रोहतगी ने कहा कि कुछ नेताओं और कार्यकर्ता-वकीलों द्वारा उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया गया है।

उन्होंने कहा कि दोनों विषयों का आपस में कोई संबंध नहीं है और जो लोग तथ्यों को नहीं जानते और दोनों चीजों की परिस्थिति को नहीं जानते, वे आरोप लगाने में महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि लगाए गए आरोप पूरी तरह से गलत और दुर्भावनापूर्ण है। रोहतगी ने कुछ कार्यकर्ता-वकीलों की आलोचना की जिन्होंने सोशल मीडिया का उपयोग कथित रूप से न्यायाधीश की छवि खराब करने के लिए की। रोहतगी ने कहा कि ऐसे लोग तथ्यों को जाने बिना सिर्फ प्रचार चाहते हैं।

बता दें कि न्यायमूर्ति सीकरी सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकाजरुन खड़गे वाले तीन सदस्यों के पैनल के सदस्य थे। इसी पैनल ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाने का निर्णय लिया था। सीकरी के वोट ने वर्मा को हटाने में अहम भूमिका अदा की थी, क्योंकि खड़गे ने इसका कड़ाई से विरोध किया था। न्यायमूर्ति सीकरी ने सरकार का समर्थन किया था।

 

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