दिल्ली हाई कोर्ट ने 2009 के जिगिशा घोष हत्याकांड में दो दोषियों को मिली मौत की सजा को गुरुवार (4 जनवरी) को उम्रकैद में बदल दिया।
न्यूज़ एजेंसी भाषा की ख़बर के मुताबिक, न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आई एस मेहता की पीठ ने इस मामले में निचली अदालत से तीसरे दोषी को मिली उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। पीठ ने कहा, हम दो दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलते हैं।
निचली अदालत ने वर्ष 2016 में रवि कपूर और अमित शुक्ला को आईटी एग्जीक्यूटिव की हत्या तथा अन्य अपराधों में मौत की सजा सुनाई थी जबकि तीसरे दोषी बलजीत मलिक को जेल में उसके अच्छे आचरण के कारण मौत की सजा नहीं दी थी और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
निचली अदालत ने दो दोषियों को मौत की सजा सुनाते हुए कहा था कि 28 वर्षीय महिला की सुनियोजित, अमानवीय और क्रूर तरीके से हत्या की गई। पुलिस ने दावा किया था कि इस हत्या के पीछे का मकसद लूट था।
भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्ला और मलिक की दोषसिद्धि और सजा पर फैसले को रद्द करने की मांग करते हुए उनके वकील अमित कुमार ने उच्च न्यायालय में दलील दी कि निचली अदालत ने उनके मुवक्किलों को बारे में जेल की पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट के आधार पर मौत की सजा और उम्रकैद देते हुए गलती की थी।
बता दें कि, 28 साल की आईटी प्रफेशनल जिगिशा घोष का मार्च 2009 में ऑफिस से लौटते वक्त दोषियों ने कि़डनैप कर लिया था। दो दिन बाद जिगिशा घोष का शव हरियाणा से सटे फरीदाबाद के सूरजकुंड में मिली थी।