प्रख्यात लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने समाज में बढ़ते असहिष्णुता पर अपने बयान में कहा “पहले प्रधानमंत्री को लेकर किसी भी तरह का हास्य प्रचलित था। लेकिन अगर आप आज के समय में ऐसा करते हैं तो आपको राष्ट्र-विरोधी समझा जाता है।
शनिवार को लोकसत्ता के कार्यक्रम में राजनीति, धर्म जेसै मुद्दे पर बातचीत करते हुए कहा, आस्था और विश्वास दो अलग बातें हैं वहीं विश्वास को साबित कर पाना मुश्किल है, लेकिन यह हर किसी का अलग अलग निजी मामला होता है। ऐसे में धर्म का होना जरूरी है लेकिन उसे ऐसे रखना चाहिए जैसे किसी संग्रहालय में रखा जाता हो।”
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, बॉलीवुड में 50 वर्ष से अधिक का समय बिता चुके जावेद अख्तर से पहला सवाल किया गया कि क्या धर्म होना चाहिए ?
दर्शकों की तरफ मुस्कुराते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि , “धर्म निश्चित रूप से होना चाहिए। लेकिन यह संग्रहालय में होना चाहिए। “उच्च स्तर पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा,” महिलाओं के खिलाफ अत्याचार अक्सर परिवार के आन के कारण होती है।
क्या समाज में असहिष्णुता में वृद्धि हुई है इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि इस समय सब सही हो रहा है या सब कुछ गलत नही ही हो रहा है, लेकिन अगर आज फिल्म जाने भी दो यारों की तरह महाभारत का कोई सीन किया जाए तो शायद उसके खिलाफ धरना शुरू हो जाएगा। पहले प्रधानमंत्री को लेकर मजाक करना आसान था लेकिन आज अगर ऐसा करेंगें तो आप राष्ट्र विरोधी समझे जाएंगे।


















