टाटा स्टील कोलकाता साहित्य महोत्सव में जावेद अख्तर ने इस्लाम और मुसलमानों के बारे में पूर्वाग्रहों से संबंधित एक सत्र में कहा कि “यह हिंदू जाति व्यवस्था है जिसने उसे (भारतीय मुसलमान) को झूठी वंशावली अपनाने पर बाध्य किया है।” आगे उन्होंने कहा कि भारत में 90 फीसदी मुसलमान यहीं के हैं और धर्म बदलकर मुसलमान बने हैं।
Photo: Hindustan Timesगीतकार और शायर जावेद अख्तर टाटा स्टील कोलकाता साहित्य महोत्सव में बोल रहे थे। “किसी आम मुसलमान से पूछिए कि आपकी वंशावली क्या है। वह कहेगा कि उसके पुरखे इराक के बसरा में फल बेचते थे। या यह कि वे अफगानिस्तान से आना (भारत) चाहते थे लेकिन खैबर दर्रे पर रुक गए। फिर उनसे पूछिए कि आखिर क्यों रुक गए।” जावेद अख्तर ने कहा, “ऐसा हिंदू जाति व्यवस्था के कारण हुआ।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर वह स्वीकार कर ले कि उसके दादा ने पंजाब में धर्म परिवर्तन किया था जोकि उन्होंने किया था (हिंदू से मुसलमान बने थे) तो फिर वे (हिंदू) पूछेंगे कि तुम्हारे दादा धर्म परिवर्तन से पहले क्या थे। यह हिंदू जाति व्यवस्था है जिसने उसे (भारतीय मुसलमान) को झूठी वंशावली अपनाने पर बाध्य किया है।”
जावेद अख्तर ने कहा कि मुसलमानों को कहा जाता है कि वे हमलावर हैं, बाहर से आए हैं। मगर ऐसा नहीं है। 90 फीसदी मुसलमान के यहीं के होने के बावजूद उन्हें बाहरी करार दिया जाता है और मुसलमान भी खुद को बाहरी बताते हैं।
जावेद अख्तर ने ‘उम्मा’ शब्द के बारे में भी बात की। इसका अर्थ हर देश में मौजूद मुसलमानों के एकजुट सामूहिक समुदाय से लिया जाता है। उन्होंने कहा, ‘यह शब्द दोनों तरफ से घातक हो गया है। लोग किसी एक समुदाय को देखते हैं तो उसके बारे में राय बनाने लगते हैं। समुदाय के लोग भी अपने अंदर से ही अपने बारे में एक राय कायम कर लेते हैं। यह स्टीरियोटाइप होने की प्रक्रिया दोतरफा है।’