EVM विवाद: BJP छोड़ कांग्रेस का दामन थामने वाले उदित राज ने सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग पर की विवादित टिप्पणी

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लोकसभा चुनावों की मतगणना से महज दो दिन पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में कथित छेड़छाड़ की खबरें सामने आने के बाद मंगलवार को राजनीतिक विवाद पैदा हो गया। विपक्ष ने चुनाव आयोग से अपील की है कि वह मतगणना में पूरी पारदर्शिता बरते। इस पूरे मामले में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी दखल दिया और कहा कि इन वोटिंग मशीनों को लेकर चल रही तमाम अटकलों पर विराम लगाने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है।

उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में इस मुद्दे पर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद विपक्ष को ईवीएम में पड़े वोटों का मिलान वीवीपीएटी की पर्चियों से करने के आंकड़े को बढ़ाने के लिए आयोग पर दबाव बनाने का एक और मौका मिल गया। विपक्ष ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर पहले भी चुनाव आयोग से भिड़ता रहा है।

इस बीच अब ईवीएम विवाद में हाल ही में भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए उदित राज ने सुप्रीम कोर्ट को भी घसीट लिया है। कांग्रेस नेता उदित राज ने शीर्ष अदालत पर विवादित टिप्पणी करते हुए ट्वीट किया, ‘सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं चाहता की VVPAT की सारी पर्चियों को गिना जाए, क्या वो भी धांधली में शामिल है। चुनावी प्रक्रिया में जब लगभग तीन महीने से सारा सरकारी काम मंद पड़ा हुआ है तो गिनती में दो-तीन दिन लग जाएं तो क्या फर्क पड़ता है।’

उदित राज ने इस ट्वीट में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा सहित समाचार एजेंसी पीटीआई को भी टैग किया है। उदित राज ने सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ ही चुनाव आयोग पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘BJP को जहां-जहां EVM बदलनी थी, बदल ली होगी। इसीलिए तो चुनाव सात चरणों मे कराया गया। और आप की कोई नहीं सुनेगा चिल्लाते रहिए, लिखने से कुछ नहीं होगा, रोड पर आना पड़ेगा। अगर देश को इन अंग्रेजों के गुलामों से बचाना है तो आंदोलन करना पड़ेगा साहब चुनाव आयोग बिक चुका है।’

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी वीवीपैट पर याचिका

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने देश में हुए आम चुनावों के लिए 23 मई को होने वाली मतों की गिनती के दौरान वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीनों की पर्ची का इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के आंकड़ों के साथ शत प्रतिशत मिलान करने की मांग वाली जनहित याचिका मंगलवार को खारिज कर दी थी। न्यायमूर्ति अरूण मिश्र की अगुवाई वाली अवकाश पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया। यह याचिका चेन्नई के एक गैर सरकारी संगठन ‘टेक फॉर आल’ की ओर से दायर की गई थी।

अवकाश पीठ ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली अदालत की वृहद पीठ इस मामले में सुनवाई कर आदेश पारित कर चुकी है। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘प्रधान न्यायाधीश इस मामले का निस्तारण कर चुके हैं। दो न्यायाधीशों की अवकाश पीठ के समक्ष आप जोखिम क्यों ले रहे हैं।’’ न्यायमूर्ति मिश्र ने कहा, ‘‘हम प्रधान न्यायाधीश के आदेश की अवहेलना नहीं कर सकते हैं… यह बकवास है। यह याचिका खारिज की जाती है।’’

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