‘इंदिरा गांधी ‘मन की बात’ में विश्वास रखती थीं, लेकिन वह सुनती थीं, प्रवचन नहीं देती थीं’

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने शनिवार (25 नवंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की ओर परोक्ष संकेत करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ‘मन की बात’ में काफी विश्वास करती थीं, किन्तु वह सुनती थीं, प्रवचन नहीं देती थीं। रमेश ने कहा कि इंदिरा अपनी ‘मन की बात’ मानती थी और उसे गंभीरता से लागू करती थीं।

(AFP File Photo)

न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक रमेश ने टाइम्स लिटरेरी फेस्टिवल में इंदिरा गांधी एवं पर्यावरण विषय पर कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री से आसानी से संपर्क किया जा सकता था। रमेश ने कहा कि गांधी ‘मन की बात’ में काफी विश्वास करती थीं। किन्तु उनकी ‘मन की बात’ सुनने वाली ‘मन की बात’ होती थी, बोलने वाली ‘मन की बात’ नहीं। जब वह ‘मन की बात’ करती थीं तो वह सुनती थीं, प्रवचन नहीं देती थीं।

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का नाम लिये बिना उन्होंने कहा कि वह (इंदिरा गांधी) लोगों से यह नहीं कहती थीं कि उनके पास सभी समस्याओं के सारे उत्तर है। बता दें कि ‘मन की बात’ प्रधानमंत्री मोदी का मासिक रेडियो कार्यक्रम है जिसमें वह विभिन्न मुद्दों पर राष्ट्र को संबोधित करते हैं। रमेश ने कहा कि वह लोगों से मिले पत्रों पर कार्रवाई करती थीं जिससे पता चलता है कि वह व्यक्तिगत एवं स्वाभाविक तौर पर पर्यावरण के मुद्दे को लेकर प्रतिबद्ध थीं।

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