संपादकीय में कहा गया है कि दोस्ताना संबंध बनाए रखना दोनों देशों के मूलभूत हितों में है। बीजिंग और नई दिल्ली के बीच किसी टकराव विशेष को गहन भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा के संकेत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में भारत के प्रवेश तथा जैश-ए-मोहम्मद के नेता मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में बतौर आतंकवादी दर्ज कराने के प्रति चीन के विरोध के संबंध में संपादकीय में कहा गया है, ‘कुल मिलाकर, ये नई समस्याएं चीन के लिए भारत की जरूरत का नतीजा हैं। क्योंकि चीन वैसा नहीं करता जैसा वह चाहता है।’
आगे लिखा है कि ‘भारत उम्मीद करता है कि वह अधिक सक्रियता से द्विपक्षीय संबंधों को आकार दे सकता है और उम्मीद करता है कि चीन भारत के हितों पर अधिक ध्यान दे। लेकिन देशों के बीच ऐसे संवाद नहीं होता है।’ दैनिक में प्रकाशित एक अन्य रिपोर्ट में बीआरएफ में भाग लेने वाले ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष सुधीन्द्र कुलकर्णी के हवाले से लिखा गया है कि भारत को इस पहल के बारे में अपनी स्थिति पर फिर से विचार करना चाहिए तथा चीन, पाकिस्तान और भारत को विवादों को सुलझाना चाहिए एवं सहयोगात्मक समाधान की नई पहल तलाश करनी चाहिए।