व्हाट्सएप का बड़ा खुलासा, भारतीय पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की इजराइली ‘स्पाइवेयर’ के जरिए की गई जासूसी

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इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप को लेकर एक चौंकाने वाली ख़बर सामने आई है, जिसे जानकर आप भी चौंक जाएंगे। इस साल अप्रैल और मई (आम चुनाव के दौरान) के बीच में इजरायली स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके भारत के कई पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी का एक बड़ा खुलासा व्हाट्सएप ने किया है। यह ख़बर सामने आने के बाद कांग्रेस ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करने और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

काग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गुरुवार को ट्विटर पर लिखा, मोदी सरकार ने तड़क भड़क पकड़ी! भयावह लेकिन आश्चर्य की बात नहीं! आखिरकार, भाजपा सरकार ने हमारी निजता के अधिकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। सुप्रीम कोर्ट को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए और भाजपा सरकार को नोटिस जारी करना चाहिए।

एक अन्य ट्वीट में कांग्रेस नेता ने लिखा, एक सरकार, पत्रकारों / कार्यकर्ताओं / विपक्षी नेताओं पर जासूसी करता है और अपने ही नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार करता है जैसे अपराधियों ने हमारे लोकतंत्र में नेतृत्व करने का अधिकार खो दिया है। हम सुप्रीम कोर्ट से आग्रह करते हैं कि वह इन गैरकानूनी गतिविधियों का संज्ञान ले और सरकार को ध्यान में रखे।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, वाट्सएप के अधिकारियों ने बताया है कि इस हफ्ते उनकी ओर से कई भारतीयों को कहा गया है कि एक इजरायली ‘स्पाइवेयर’ ने वाट्सएप के जरिए उनकी जासूसी की है। इनमें भारतीय पत्रकार, एक्टिविस्ट शामिल हैं। इनकी जासूसी मई के महीने में की गई है। माना जा रहा है कि भारत में यह जासूसी अप्रैल के दो हफ्ते में की गई है।

मंगलवार को ही वाट्सएप की पैरेंट कंपनी फेसबुक की ओर से इजरायल की साइबर सिक्योरिटी कंपनी एनएसओ पर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया है कि उसने वाट्सएप के सर्वर का इस्तेमाल कर 1400 वाट्सएप यूजरों को यह मॉलवेयर फैलाया है जिसकी जरिए उसने जासूरी की है। इनमें 20 देशों के पत्रकार, सरकार के उच्चाधिकारी, मानवाधिकार एक्टिविस्ट शामिल हैं।

इस स्पाइवेयर जरिए वाट्सएप इस्तेमाल करने वाले शख्स के मैसेज, कॉल और पासवर्ड की डिटेल आसानी से पाई जा सकती है। बता दें कि, अगस्त 2017 में, नौ-न्यायाधीशों वाली सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने फैसला दिया था कि निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार था।

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