नई दिल्ली। भारत से आगे निकलने की होड़ में वैसे तो पाकिस्तान हमेशा नाकाम कोशिश करता है, फिर भी सफल नहीं हो पाता। लेकिन, बासमती चावल का निर्यात करने में पाकिस्तान से भारत पिछड़ सकता है। दरअसल, ईरान ने अपना आयात मूल्य 850 डॉलर प्रति टन तय कर दिया है, जो ज्यादा ढुलाई लागत के कारण भारतीय आपूर्तिकर्ताओं के लिए व्यावहारिक नहीं है।
ईरान बासमती के आयात के लिए दोबारा परमिट जारी करने वाला है, लेकिन भारतीय व्यापारी और अधिकारी इसको लेकर चिंतित हैं। गौरतलब है कि ईरान भारत के बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक देश है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के एक अधिकारी ने कहा कि हमारे लिए परिवहन लागत अधिक है।
भारतीय निर्यातकों ने मांग की है कि ईरान को प्रति टन कम से कम 900 डॉलर कीमत तय करनी चाहिए, ताकि वे व्यापार को किफायती बना सकें। व्यापारियों का मानना है कि ईरान के लिए अपनी निकटता की वजह से पाकिस्तान को फायदा होगा।
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स असोसिशन के मुताबिक, भारत ने 2015-16 में 40.5 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया था, जिसमें से 6.9 लाख टन का निर्यात ईरान को किया गया। अप्रैल-दिसंबर 2016 में टोटल बासमती निर्यात मूल्य 29.2 लाख टन था, जो वित्त वर्ष 2015-16 की समान अवधि में 30.6 लाख टन रहा था।
हालांकि, जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान, ईरान से करीब हो सकता है, लेकिन उसके पास निर्यात करने के लिए पर्यात्प चावल नहीं है। हमे भरोसा है कि ईरान की कंपनियां इस बात को समझेंगी कि भारत में पिछले साल के मुकाबले 20-30 फीसदी कमजोर फसल हुई है और ऐसे में इसे 925 डॉलर प्रति टन से नीचे बेचना व्यावहारिक नहीं है।