पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में फांसी की सजा पाने वाले कुलभूषण जाधव के मामले पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में (आईसीजे) में सोमवार (15 मई) को सुनवाई शुरू हुई और और इस मामले में भारत और पाकिस्तान आमने-सामने हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेशन कोर्ट के सामने भारत की तरफ से केस का प्रतिनिधित्व कर रहे दीपक मित्तल ने जाधव पर लगे आरोपों को ‘मनगढ़ंत’ और पूरी ट्रायल को ‘हास्यास्पद’ करार दिया। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार सबसे आधारभूत चीज है लेकिन पाकिस्तान ने जाधव केस में इसकी धज्जियां उड़ा कर रख दी है और जितनी भी बार उससे कांसुलर एक्सेस की मांग की गई उसने अनसुना कर दिया।
उन्होंने कहा कि वियना संधि के तहत कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति को पकड़ा जाता है, तो दोनों देशों में उसे राजनियक नियमों के तहत मदद मिलेगी, इसका उल्लेख आर्टिकल 36 में भी हुआ है। भारत किसी अन्य देश की न्यायिक व्यवस्था में हस्तेक्षेप नहीं कर रहा है, हम सिर्फ अंतरराष्ट्रीय नियमों की बात कर रहे हैं। पाकिस्तान को नियमों का पालन करना ही होगा।
photo- दैनिक जारगणमीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की ओर से पक्ष रखते हुए वरिष्ट वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया कि जाधव से मिलने के लिए भारत की ओर से कई बार अपील की गई थी, लेकिन पाकिस्तान ने भारत के निवेदन को बार-बार खारिज कर दिया। केस की सुनवाई के शुरू होने के साथ बेंच द्वारा रजिस्ट्रार को भारत की मांग और पाकिस्तान की सैन्य अदालत के फैसले को पढ़कर सुनाने के लिए कहा गया।
इससे पहले दोनों देश लगभग 18 साल पहले संयुक्त राष्ट्र की इस शीर्ष अदालत में आमने-सामने आए थे, जब पाकिस्तान ने उसके नौसैनिक विमान को मार गिराए जाने के मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया था। मामले की सुनवाई नीदरलैंड (हॉलैंड) के शहर हेग में स्थित पीस पैलेस के ग्रेट हॉल ऑफ जस्टिस में हुई। भारत ने कहा, जाधव की फांसी मानवाधिकारों का उल्लंघन, उसने वियाना संधि का उल्लंघन किया।
कोर्ट में भारत का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पिछले दिनों कहा था कि हम पाकिस्तान की कानूनी प्रतिक्रिया का इंतजार करेंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वहीं पाकिस्तान के एटॉर्नी जनरल अश्तार औसफ ने कहा कि पाकिस्तान अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को सशक्त तरीके से खारिज करते हुए अपना मजबूत जवाब देगा और कश्मीर में भारत के अत्याचारों का मुद्दा भी उठाएगा।
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