कश्मीर के युवा अंजुम बशीर खान की कहानी किसी के लिए भी एक बड़ी मिसाल हो सकती है। विपरित परिस्थितियों में आगे बढ़ने के हौसलें की कहानी अंजुम बशीर की कहानी है। बिना किसी कोचिंग का सहारा लिए बशीर ने इस साल सिविल सर्विस की परीक्षा में टॉप किया। कश्मीर प्रशासनिक सेवा के इस टॉपर के घर को साल1999 में आतंकियों ने आग लगा दी थी।
पूंछ जिले का सुरनकोट क्षेत्र जो करीब दो दशक पहले आतंकियों का गढ़ रहा, वहां उनका पैतृक निवास था। 1990 में आतंकियों द्वारा उसे जला दिया गया और मजबूरन परिवार को जम्मू आना पड़ा।
अंजुम बशीर बताते है कि ‘यह क्षेत्र विकसित नहीं हुआ, और दूसरी बात, वहां विद्रोह का खतरा था – यह हमारे लिए दोहरी परेशानी थी। मैंने वहां अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की, लेकिन जब उन परिस्थितियों में रहना मुश्किल हो गया तब हम उस क्षेत्र से चले गए और मैंने जम्मू में अपनी पूरी शिक्षा की।’
2008 में अंजुम ने बाबा गुलाम शाह बडशाह यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर इंजिनियर के डिग्री के लिए दाखिला लिया। 2012 में डिग्री पूरी कर ली। उस समय कई युवा आतंक की राह पर चल निकले थे, लेकिन अंजुम ने पढ़ाई को अपना रास्ता चुना। जेकेपीएससी 2017 की परीक्षा में अव्वल स्थान हासिल किया।
अंजुम से जब पूछा गया कि क्या वह अब आगे सेंट्रल सिविल सर्विसेज़ में जाने की कोशिश करेंगे, तो वह साफ इनकार कर देते हैं। अंजुम कहते हैं कि वह अपने राज्य में ही रहना चाहते हैं, ताकि यहां के लोगों के लिए काम करने के साथ अपने मां-बाप के साथ भी रह सकेंगे।
इस बारें में एक मीडिया चैनल से बात करते हुए भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि कठिनाइयों के बावजूद अंजुम बशीर खट्टक ने परीक्षा में शीर्ष स्थान हासिल किया। यह कहानी एक प्रेरणा के जैसी है। इससे घाटी में शांति बहाल करने में गुणात्मक प्रभाव होगा।
Dr. Subramanian Swamy Speaks to NewsX on Anjum Bashir Topping the Kashmir civil service exams. @Swamy39 @jagdishshetty pic.twitter.com/3Kbsa43E4Z
— Karur.VN.Mohan (@karurvnmohan) December 20, 2017