पिछले कुछ समय से वंदे मातरम पर जारी विवाद पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी अपना पक्ष रखते हुए परोक्ष रूप से इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि ‘वंदे मातरम’ कहने पर आपत्ति क्यों है? उन्होंने गुरुवार (7 दिसंबर) को सवाल किया कि ‘अगर मां को सलाम नहीं करेंगे तो क्या अफजल गुरु को सलाम करेंगे?
PHOTO: PIBनायडू ने सवाल किया कि, ‘वंदे मातरम माने मां तुझे सलाम। क्या समस्या है? अगर मां को सलाम नहीं करेंगे तो क्या अफजल गुरू को सलाम करेंगे? उपराष्ट्रपति नायडू विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल की पुस्तक के विमोचन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने राष्ट्रवाद को परिभाषित करने का प्रयास करने वाले लोगों का उल्लेख करते हुए कहा कि वंदे मातरम का मतलब मां की प्रशंसा करना होता है। उन्होंने कहा कि जब कोई कहता है ‘भारत माता की जय’ वह केवल किसी तस्वीर में किसी देवी के बारे में नहीं है।
Vande Mataram ke baare mein vivaad hota hai, 'Maa tujhe salaam'. Maa ko salaam nahi karenge toh kisko karenge? Afzal Guru ko karenge kya?: Vice President Venkaiah Naidu (7.12.17) pic.twitter.com/HUdcWUgXxK
— ANI (@ANI) December 8, 2017
उन्होंने कहा कि, ‘यह इस देश में रह रहे 125 करोड़ लोगों के बारे में है, चाहे उनकी जाति, रंग, पंथ या धर्म कुछ भी हो। वे सभी भारतीय हैं। उन्होंने हिंदुत्व पर हाई कोर्ट के 1995 के फैसले का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि यह कोई धर्म नहीं बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हिंदुत्व भारत की संस्कृति और परंपरा है जो विभिन्न पीढ़ियों से गुजरा है। उपासना के अलग अलग तरीके हो सकते हैं लेकिन जीवन जीने का एक ही तरीका है और वह है हिंदुत्व। नायडू ने कहा कि हमारी संस्कृति ‘वासुधैव कुटुम्बकम’ सिखाती है जिसका मतलब है कि विश्व एक परिवार है। उन्होंने सिंघल पर कहा कि वह हिंदुत्व के समर्थकों में से एक थे और उन्होंने अपने जीवन के 75 वर्ष भविष्य की पीढ़ियों के लाभ के लिए समर्पित कर दिए।