शिवसेना ने लगाया पीएम मोदी पर ‘बाथरूम छाप राजनीति’ करने का आरोप

0

इन दिनों शिव सेना लगातार पीएम मोदी पर हमला बोल रही है। पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के ताजा अंक में पीएम मोदी पर जबरदस्त हमला बोलेते हुए बाथरूम छाप राजनीति करने का आरोप लगाया। ‘सामना’ की पीएम मोदी पर ये टिप्पणी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह‍ के ऊपर राज्‍यसभा में ‘रेनकोट’ वाले बयान पर इंगित करते हुए दी गई है।

‘सामना’ ने लिखा कि प्रधानमंत्री के पद पर बैठे व्‍यक्ति को इस तरह की टिप्‍पणियां नहीं करनी चाहिए। बाथरूम में झुककर देखना किसी को भी शोभा नहीं देता। यह टाला जाना चाहिए। इसके अलावा ‘सामना’ ने यूपी की जनसभाओं में दिए गए उनके भाषणों पर इशारा करते हुए लिखा कि ”उत्‍तर प्रदेश की प्रचार सभा में मोदी ने ऐसी धमकी दी कि आप सभी की कुंडलियां हमारे पास हैं।

इस पर अखिलेश यादव का जवाब ऐसा था कि गूगल पर सभी की कुंडलियां एक क्लिक पर मिलती है। उत्‍तर प्रदेश का चुनाव कितने निचले स्‍तर तक चला गया है इसका यह एक उत्‍तम नमूना है। इस तरह की कीचड़ फेंक में देश के प्रधानमंत्री या राज्‍य के मुख्‍यमंत्री को तो कम से कम शामिल नहीं होना चाहिए। दुर्भाग्‍य से लोकतंत्र के हमाम में सभी नंगे होने से प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री जैसे लोग भी कैसे दूर रहेंगे।”

मीडिया रिपोट्स के मुताबिक, ‘सामना’ में लिखा है कि प्रधानमंत्री को दलगत राजनीति से दूर रहना चाहिए। जिस सरकारी कवच-कुंडल और सरकारी मशीनरी में वे घूमते हैं और बोलते हैं कि वह एक तरह का चुनावी भ्रष्‍टाचार है। भाजपा के उत्‍तर प्रदेश में खराब कानून-व्‍यवस्‍था के लिए सपा सरकार पर आरोपों पर भी निशाना साधा गया है। इसमें लिखा है कि सूबे में भाजपा के पास 70 सांसद हैं वे क्‍या कर रहे हैं। जिस तरह से मुंबई में शिवसैनिक लोगों की रक्षा को निकलते हैं वैसे ही उन्‍हें भी बाहर आना चाहिए।

जबकि इससे पूर्व उद्धव ठाकरे ने कहा था कि, जिस तरह मोदी जी के पास दूसरी पार्टी के नेताओं की कुंडली है वैसे ही हमारे पास भी मोदी जी की जन्म-कुंडली रखी है। ठाकरे ने मोदी पर हमला करते हुए कहा कि, “जो भी व्यक्ति पैदा होता है, उसकी एक ‘जन्म पत्रिका’ होती है। प्रधानमंत्री को कभी यह नहीं भूलना चाहिए। यहां तक कि हमारे पास भी उनकी जन्मकुंडली है।

Previous articleKailash Satyarthi’s Nobel replica found, cops yet to recover citation
Next articleShiv Sena tells PM Modi: Stop peeping in others’ bathrooms, focus on governance