एक साल बाद पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का पीएम मोदी को जवाब, कहा- बहुतों को लगता है मेरे विदाई समारोह में प्रधानमंत्री की टिप्पणी परंपरा के विपरीत था

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सेवानिवृत्ति के करीब एक साल पहले अपने विदाई समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में खुद पर की गई टिप्पणी से पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी आहत हैं। यह बात एक साल बाद उन्होंने अपनी नई किताब में जताते हुए कहा कि वह पीएम मोदी की टिप्पणियों को परंपराओं के विपरीत मानते हैं।

File Photo: Prakash Singh/AFP

समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक हामिद अंसारी ने कहा कि विदाई भाषण में पीएम मोदी की टिप्पणी को बहुत से लोग मानते हैं कि वह मौके के लिहाज से ठीक टिप्पणी नहीं था। उन्होंने कहा, ‘काफी लोगों का ऐसा विचार है कि विदाई भाषण के वक्त की गई उनकी टिप्पणी परंपरा के अनुकूल नहीं थी।’

10 अगस्त 2017 हामिद अंसारी के कार्यकाल का आखिरी दिन था। 10 साल तक (2007-2017) उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के तौर पर कार्यकाल समाप्त होने के मौके पर परंपरा के अनुसार सभी दलों के नेताओं ने उन्हें विदाई दी थी। राज्यसभा सभापति के तौर पर कार्यकाल के आखिरी दिन विदाई भाषण में प्रचलित परंपरा के अनुसार पीएम मोदी ने हामिद अंसारी का शुक्रिया अदा करते हुए राजनयिक और उपराष्ट्रपति के तौर पर उनके कार्यकाल की सराहना की थी।

नवभारत टाइम्स के मुताबिक हामिद अंसारी ने पीटीआई से बातचीत में कहा, ‘प्रधानमंत्री ने इस विदाई समारोह में हिस्सा लिया था और कार्यकाल की प्रशंसा के दौरान उन्होंने मेरे व्यक्तिगत रुझानों की ओर भी संकेत दिए थे। उन्होंने मुस्लिम मुल्कों में बतौर राजदूत मेरे कार्यकाल का उल्लेख किया था। राजदूत के पद से सेवानिवृत होने के बाद अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों पर मेरी सक्रियता की तरफ उनका संकेत था।’

हामिद अंसारी ने कहा, ‘उनका संकेत शायद बेंगलुरु में दिए मेरे उस भाषण और राज्यसभा टीवी को दिए इंटरव्यू का था जिसमें मैंने कहा था कि अल्पसंख्यक और कुछ दूसरे समुदाय के युवाओं में बेचैनी और असुरक्षा का भाव है।’ बता दें कि उनकी इस टिप्पणी पर उस वक्त सोशल मीडिया में काफी हंगामा भी हुआ था। कुछ लोगों ने हामिद अंसारी से सहमति जताई तो कुछ ने विरोध किया।

उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी आलोचना करनेवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘सोशल मीडिया पर मौजूद कुछ वफादार लोगों ने इस बयान के खिलाफ एक तरीके से दुष्प्रचार की मुहिम ही छेड़ दी। दूसरी तरफ, कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्होंने अखबारों में इससे संबंधित लेख और गंभीर संपादकीय लिखे और उनमें माना कि विदाई समारोह के दौरान पीएम की टिप्पणी संसदीय परंपरा के अनुकूल नहीं थी।’

 

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