वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था देश में राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ा सुधार है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार इस दिशा में किसी भी नए सुझाव पर विचार के लिए तैयार है। जेटली ने रविवार (7 जनवरी) को फेसबुक पर अपने ब्लॉग में लिखा, ‘अभी तक राजनीतिक दलों को चंदा और उनका खर्च दोनों नकदी में होता चला आ रहा है।’न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक जेटली ने आगे कहा कि चंदा देने वालों के नामों का या तो पता नहीं होता है या वे छद्म होते हैं। कितना पैसा आया, यह कभी नहीं बताया जाता और व्यवस्था ऐसी बना दी गई है कि अज्ञात स्रोतों से संदिग्ध धन आता रहे।’ उन्होंने लिखा है कि यह बिल्कुल अपारदर्शी तरीका है।
वित्त मंत्री ने कहा कि ज्यादातर राजनीतिक दल और समूह इस मौजूदा व्यवस्था से बहुत खुश दिखते हैं। यह व्यवस्था चलती रहे तो भी उनको कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जेटली का कहना है कि उनकी सरकार का प्रयास यह है कि ऐसी वैकल्पिक प्रणाली लाई जाए जो राजनीति चंदे की व्यवस्था में स्वच्छता ला सके।
गौरतलब है कि वित्त मंत्री ने पिछले सप्ताह राजनीतिक दलों को बॉन्ड के जरिए चंदा देने की एक रूपरेखा सामने रखी थी। चुनावी बॉन्ड्स की बिक्री जल्द ही शुरू की जाएगी। इन बॉन्ड्स की मियाद केवल 15 दिन की होगी। इन्हें भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से खरीदा जा सकेगा।
चंदा देने वाला इस बॉन्ड को खरीद कर किसी भी पार्टी को उसे चंदे के रूप में दे सकेगा और वह दल उसे बैंक के जरिए भुना लेगा। इन बॉन्ड्स को नकद चंदे के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
My blog on Why Electoral Bonds are Necessary https://t.co/CVAokiEZDl
— Arun Jaitley (@arunjaitley) January 7, 2018
Electoral bonds are key to evolve a clean political funding system in India.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) January 7, 2018
वित्त मंत्री ने लिखा है कि अब लोगों के लिए सोच-समझ कर यह तय करने का विकल्प होगा कि वे संदिग्ध नकद धन के चंदे की मौजूदा व्यवस्था के हिसाब से चलन को अपनाए रखना चाहते हैं या चेक, ऑनलाइन लेनदेन और चुनावी बॉन्ड्स का माध्यम चुनते हैं।
जेटली ने कहा कि बाद के तीन तरीकों में से दो चेक और ऑनलाइन पूरी तरह पारदर्शी है जबकि बॉन्ड योजना मौजूदा अपरादर्शी राजनीतिक चंदे की मौजूदा व्यवस्था की तुलना में एक बड़ा सुधार है। उन्होंने कहा कि सरकार भारत में राजनीतिक चंदे की वर्तमान व्यवस्था को स्वच्छ बनाने और मजबूत करने के लिए सभी सुझावों पर विचार करने को तैयार है, लेकिन यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि अव्यावहारिक सुझावों से नकद चंदे की व्यवस्था नहीं सुधरेगी बल्कि उससे यह और पक्की होगी।
जेटली ने लिखा है कि, ‘भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के बावजूद सात दशक बाद भी राजनीतिक चंदे की स्वच्छ प्रणाली नहीं निकाल पाया है। राजनीतिक दलों को पूरे साल बहुत बड़ी राशि खर्च करनी होती है। ये खर्चे सैकड़ों करोड़ रुपये के होते हैं। इसके बावजूद राजनीतिक प्रणाली में चंदे के लिए अभी कोई पारदर्शी प्रणाली नहीं बन पाई है।’