दिवालिया घोषित होने की कगार पर खड़ी रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक पर अब पूरी तरह से केंद्र सरकार का कंट्रोल होगा। राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने शुक्रवार (8 दिसंबर) को रीयल्टी कंपनी यूनिटेक को तगड़ा झटका दिया है। ट्राइब्यूनल ने केंद्र सरकार को कर्ज के बोझ तले दबी इस कंपनी के 10 निदेशकों की नियुक्ति करने की अनुमति दे दी।
(Photographer: Qilai Shen/Bloomberg News)न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस एम. एम. कुमार की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय NCLT बेंच ने सरकार को 20 दिसंबर तक निदेशक के तौर पर नियुक्त किए जाने वाले 10 लोगों के नाम देने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई भी इसी दिन होनी है। यूनिटेक मैनेजमेंट पर धन के हेरफेर और कुप्रबंधन का आरोप लगने के बाद कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने कंपनी का प्रबंधन संभालने के लिए NCLT का रुख किया था।
ट्राइब्यूनल ने यूनिटेक को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस भी जारी किया है। ट्राइब्यूनल में सरकार की ओर पक्ष रखने के लिए हाजिर हुए अतिरिक्त सलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा, ‘NCLT ने कंपनी के दैनिक परिचालन के लिए 10 निदेशकों की नियुक्ति करने की मंजूरी केंद्र सरकार को दे दी है।’
ट्राइब्यूनल ने कहा कि यूनिटेक के नए निदेशक सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेशों का पालन करेंगे। NCLT ने यूनिटेक के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा और उनके भाई अजय चंद्रा को जवाब देने के निर्देश दिए हैं। यूनिटेक ने कहा था कि सरकार ने कंपनी के खिलाफ किसी भी प्रकार की जबरन कार्रवाई के बारे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित नहीं किया है। इससे पहले यूनिटेक को पहला झटका उस समय लगा जब ट्राइब्यूनल ने उसके 10 निदेशकों को निलंबित कर दिया।
यूनिटेक का पक्ष रखने वाले वकील ने कहा कि सरकार ने तथ्यों को सही ढंग से नहीं दिखाया है। अतिरिक्त सलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा, ‘NCLT ने निर्देश दिया है कि कंपनी के निलंबित निदेशक अपनी या कंपनी की संपत्ति को बेच या गिरवी नहीं रख पाएंगे।’
गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल में, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने यूनिटेक के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा और उनके भाई अजय चंद्रा को निवेशकों से पैसे लेने के बावजूद प्रॉजेक्ट्स पर काम नहीं करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। करीब 70 प्रोजेक्ट में 16,000 इकाइयों का आवंटन न करने के साथ ही यूनिटेक पर 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है।