गोवा में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के बाद सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच होड़ शुरू हो गई है। जहां एक ओर गोवा कांग्रेस के प्रभारी व पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह ने सूबे में सरकार बनाने का दावा ठोंका है, वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सरकार बनाने की कवायद के लिए गोवा पहुंच चुके हैं।
इस बीच राज्य में किंगमेकर बनकर उभरे गोवा फॉरवर्ड पार्टी के अध्यक्ष प्रभाकर टिम्बले ‘जनता का रिपोर्टर’ से खास बातचीत करते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने अभी तक किसी को भी समर्थन देने का फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा कि हम खुशी-खुशी विपक्ष में बैठने को तैयार हैं। हालांकि, प्रभाकर ने बातचीत के दौरान कुछ शर्तों के साथ कांग्रेस को समर्थन देने के संकेत दिए हैं।
उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस को कुछ शर्तों के साथ समर्थन दे सकते हैं, लेकिन पहले कांग्रेस पार्टी को हमारा विश्वास जीतना पड़ेगा, क्योंकि कांग्रेस ने पहले हमारे साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के सामने कुछ शर्त रखते हुए कहा कि उन्हें(कांग्रेस) कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तय करना होगा। साथ ही प्रभाकर ने कहा कि लुइजिन्हो फलेरो (गोवा कांग्रेस अध्यक्ष) को मुख्यमंत्री पद के रूप में किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
गौरतलब है कि गोवा में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। जिसके बाद राज्य में त्रिशंकु विधानसभा के संकेत है। 40 विधानसभा सीटों वाले गोवा में 17 सीटे जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, वहीं भाजपा को 13 सीटों से संतोष करना पड़ा है।
जबकि महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) और गोवा फॉरवर्ड पार्टी को तीन-तीन सीटें और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को एक सीट हासिल हुई है। जबकि तीन सीटें निर्दलीयों ने जीत ली है। कांग्रेस और भाजपा को सरकार बनाने के लिए 21 विधायकों की जरूरत है। कांग्रेस पार्टी का दावा है कि उसे एनसीपी और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन प्राप्त है।
अगर गोवा फॉरवर्ड पार्टी अपने तीनों विधायकों के साथ कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला करती है तो राज्य में कांग्रेस की सरकार बन सकती है। यही वजह है कि गोवा कांग्रेस के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने उम्मीद जताई है कि प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से राज्यपाल उन्हें आमंत्रित करेंगे और वह सरकार बना लेंगे।