पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस (TMC) छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने वाले कुछ नेता सत्तारूढ़ दल की शानदार जीत के बाद अब ममता बनर्जी नीत दल में शामिल होने के लगातार प्रयास कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस की शानदार जीत के बाद भाजपा के खेमे में खलबली मची हुई है, जो रुकने का नाम ही नहीं ले रही है।

पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री राजीव बनर्जी का भाजपा से निष्कासन महज वक्त का तकाजा है। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के साथ शनिवार शाम को दक्षिण कोलकाता कार्यालय में बागी नेता की बैठक के मद्देनजर यह फैसला लिया जा सकता है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले राजीव बनर्जी को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण दो बार आगाह किया गया था, लेकिन इसका शायद ही कोई असर हुआ।
भाजपा की अनुशासन समिति के एक सदस्य ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, “उन्हें दो कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं, लेकिन उन्होंने उनमें से एक का भी जवाब नहीं दिया है। इसलिए उम्मीद है कि वह पार्टी में बने रहने को तैयार नहीं हैं।” सदस्य ने कहा, “वह भाजपा के सदस्य बने हुए हैं और विपक्षी पार्टी के नेताओं के साथ गुप्त बैठकें करते हैं। यह पार्टी विरोधी गतिविधियों के बराबर है। इसलिए, अब हम एक बड़ा निर्णय लेने के लिए दृढ़ हैं, जिसकी घोषणा एक या दो सप्ताह के भीतर की जाएगी।”
इसलिए, इससे पहले कि बनर्जी भगवा ब्रिगेड छोड़ दें, पार्टी उन्हें निष्कासित करना चाहती है और जानकारी नई दिल्ली में पार्टी आलाकमान को भेज दिया गया है। अब अनुशासन समिति के सदस्यों को बस उनसे हरी झंडी का इंतजार है।
बनर्जी पिछली तृणमूल सरकार में मंत्री थे, लेकिन उन्होंने बीजेपी में शामिल होने के लिए तृणमूल छोड़ दी और दोमजुर विधानसभा सीट से भगवा पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा, जहां से वह पहले विधायक थे, लेकिन हार गए। अपनी हार के तुरंत बाद, वह बागी बन गए और पार्टी विरोधी बयान देना या पार्टी की बैठकों से बचना शुरू कर दिया।