पूर्व IAS अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने पीगैसस सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, कई मीडिया संस्थानों के वरिष्ठ पत्रकारों व विपक्ष के तीन नेताओं सहित अन्य लोगों के कथित फोन टैप मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व IAS अधिकारी ने इस मामले में कई ट्वीट कई मोदी सरकार पर निशाना साधा है। इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि, आखिर इन सबकी फोन टैपिंग क्यों कराई जा रही थी?
दरअसल, कई मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने खुलासा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप के पीगैसस सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हो सकता है कि हैक किए गए हों।
यह ख़बर सामने आने के बाद मोदी सरकार सोशल मीडिया यूजर्स के साथ-साथ विपक्ष के निशाने पर आ गई है। लोग इस मामले को लेकर कई तरह के सवाल उठा रहे है। इस बीच, पूर्व IAS अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा, “अच्छे अच्छे फंसे थे जासूसी के जाल में- बड़े बड़े पत्रकार, विपक्ष के नेता, उघोगपति, सुप्रीम कोर्ट के जज तक को नहीं बख्शा। आखिर इन सबकी फोन टैपिंग क्यों कराई जा रही थी? क्या खतरा था? वाणी पर पहरे लगा दिए। लोकतंत्र की गर्दन मरोड़ कर रख दी, परखच्चे उड़ा दिए, साहब।”
अच्छे अच्छे फंसे थे जासूसी के जाल में- बड़े बड़े पत्रकार, विपक्ष के नेता, उघोगपति, सुप्रीम कोर्ट के जज तक को नहीं बख्शा।
आखिर इन सबकी फोन टैपिंग क्यों कराई जा रही थी? क्या खतरा था?
वाणी पर पहरे लगा दिए। लोकतंत्र की गर्दन मरोड़ कर रख दी, परखच्चे उड़ा दिए, साहब।#Pegasus
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) July 18, 2021
सिंह ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, “सरकार एक सादे पन्ने पर एक Unsigned सरसरी बयान जारी कर पल्ला नहीं झाड़ सकती। जारी बयान में ये कहा गया कि सरकार कोई अनाधिकृत सर्विलांस नहीं कराती है। सरकार को सीधे बताना होगा कि उन्होंने अरबों रु. देकर #Pegasus खरीदा या नहीं? यदि हां तो क्या उद्देश्य था? सरकार JPC से जांच कराए।”
इसके साथ ही उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, “रोहिणी सिंह जैसे जिन 40 पत्रकारों के नाम #Pegasus कांड में हैं – उनके बच्चे/परिवार भी होंगे,वे किसी के बेटी/बेटा/मां/पिता भी होंगे। उनके परिवारों को भी चिंता होती होगी, डर लगता होगा कि सरकार उनके परिवार की जासूसी करा रही है। सरकार को बताना होगा कि जासूसी उनकी फितरत नहीं।”
@rohini_sgh जैसे जिन 40 पत्रकारों के नाम #Pegasus कांड में हैं – उनके बच्चे/परिवार भी होंगे,वे किसी के बेटी/बेटा/मां/पिता भी होंगे।
उनके परिवारों को भी चिंता होती होगी, डर लगता होगा कि सरकार उनके परिवार की जासूसी करा रही है।
सरकार को बताना होगा कि जासूसी उनकी फितरत नहीं।
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) July 19, 2021
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लीक आंकडों में बड़े मीडिया संगठनों हिंदुस्तान टाइम्स, इंडिया टुडे, नेटवर्क 18, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस के अनेक जाने माने पत्रकार के नंबर शामिल हैं। हालांकि, यह रिपोर्ट सामने आने के बाद सरकार ने अपने स्तर पर खास लोगों की निगरानी संबंधी आरोपों को खारिज किया है। सरकार ने कहा,‘‘इसका कोई ठोस आधार नहीं है या इससे जुड़ी कोई सच्चाई नहीं है।’’
सरकार ने मीडिया रिपोर्टों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘भारत एक मजबूत लोकतंत्र है और वह अपने सभी नागरिकों के निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही सरकार ने ‘‘जांचकर्ता, अभियोजक और ज्यूरी की भूमिका’’ निभाने के प्रयास संबंधी मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर दिया।